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Author: GIGL

(Hindi) Financial Freedom: A Proven Path to All the Money You Will Ever Need

(Hindi) Financial Freedom: A Proven Path to All the Money You Will Ever Need

“एक  फ्लेक्सिबल  फुल टाइम जॉब, एक डिफरेंट स्किल सेट, लोगों  से कनेक्ट करना , कहाँ  इंवेस्ट  करना है और कहाँ बेचना है इसकी जानकारी होना– कुछ इसी तरह ग्रांट  सबैटियर   ने अपना सेविंग अकाउंट पांच साल में $0.01 से $1,000,000 तक बढ़ा लिया था. इस समरी में आप पढोगे कि ऐसा कर पाना इम्पॉसिबल भी  नहीं  है. आप भी अपनी गरीबी हमेशा-हमेशा के लिए मिटा सकते हो और फाइनेशियल फ्रीडम अचीव कर सकते हो, और वो कैसे करना है ये समरी  आपको सिखाएगी. 

ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए ? 
•    एम्प्लोईज़ को 
•    कॉलेज स्टूडेंट्स को 
•    यंग एडल्ट्स को 

ऑथर के बारे में 
  ग्रांट सबैटियर इस एंटप्रेन्योर और बेस्ट सेलिंग ऑथर हैं. वो फाइनेंशियल फ्रीडम समिट के फाउंडर, millenial मनी के क्रिएटर और बैंक बोनस के सीईओ हैं.   ग्रांट फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस, मनी और माइंडफुलनेस पर  पॉडकास्ट , सेमिनार और कोर्स भी ऑफर करते हैं. 

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(Hindi) Case Study of Netflix

(Hindi) Case Study of Netflix

“अगर आप  नेटफ़्लिक्स  देखते हैं, तो इसके बारे में जानते क्यों नहीं ? इस समरी को पढ़िए और  नेटफ़्लिक्स  की शुरुवात और सक्सेस के बारे में पता कीजिए कि यह कब शुरू हुआ और कैसे यह दुनिया की सबसे बड़ी स्ट्रीमिंग सर्विस बन गई!

इस समरी से कौन सीख सकता हैं?
• टेक्नोलॉजी में इंटरेस्ट रखने वाले लोग 
• जो केस स्टडी पढ़ना पसंद करते हैं

समरी के बारे में
इस केस स्टडी में वह सब कुछ हैं जो आपको  नेटफ़्लिक्स  के बारे में जानने के लिए ज़रूरी हैं. स्ट्रीमिंग सर्विस की दुनिया की सबसे बड़ी ग्लोबल  कंपनी  की कामयाबी और इसके रास्ते में आए मुश्किलों के बारे में जानिए.      

References:
1.    Corp., Pure Atria. “”Rational Software Announces Agreement to Acquire Pure Atria.”” PR Newswire. Archived from the original on February 25, 2017. Retrieved March 3, 2017.
2.    “”Netflix Company History.”” Archived from the original on September 2, 2017.
3.    Hastings, Reed (September 18, 2011). “”The Official Netflix Blog: US & Canada: An Explanation and Some Reflections.”” Blog.netflix.com. Archived from the original on June 14, 2012. Retrieved June 14, 2012.
4.    Falcone, John P. (May 9, 2008). “”Netflix Watch Now: Missing too much popular content.”” CNET. Archived from the original on June 17, 2011. Retrieved July 19, 2010.
5.    Inc., Netflix. “”Netflix Appoints Anthony Wood, who Founded and led ReplayTV, As VP of Internet TV.”” PR Newswire. Archived from the original on November 13, 2017. Retrieved April 28, 2018.
6.    Wright, Tolly (January 1, 2019). “”Netflix Pulls Episode of Hasan Minhaj's Talk Show in Saudi Arabia.”” Vulture. Retrieved January 3, 2019.
7.    Gobry, Pascal-Emmanuel (January 20, 2011). “”Amazon Buys Lovefilm, The Netflix Of Europe.”” Business Insider. Archived from the original on June 1, 2013. Retrieved September 23, 2013.

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(Hindi) Google

(Hindi) Google

“सर्गे ब्रिन और लैरी पेज- गूगल के फाउंडर (Sergey Brin & Larry Page – the founders of google)

गूगल दुनिया का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला वेब बेस्ड सर्च  इंजन  ही नहीं है बल्कि ये एक मल्टीनेशनल टेक जाएंट है जो आज बड़े पैमाने पर कई इंटरनेट प्रोडक्ट और सर्विस जैसे गूगल क्रोम, गूगल एड, यूट्यूब, गूगल मैप जैसी कई सर्विसेस का ओनर भी है. गूगल दुनिया की सबसे बड़ी चार टेक कंपनीयों में से एक माना जाता है जिसका टेक इंडस्ट्री के एक बड़े पार्ट पर कब्ज़ा है जैसे अमेज़न, फेसबुक और एप्पल. 

लैरी पेज ने सबसे पहले popularity के बेसिस पर वेब पेज बनाने के बारे में सोचा। उस वक्त लैरी पेज स्टैंडफोर्ड  यूनिवर्सिटी  में कंप्यूटर साइंस में पी. एच. डी. कर रहे थे. असल में लैरी ने गूगल सर्च  इंजन  अपने क्लासमेट सर्गे ब्रिन के साथ मिलकर एक रिसर्च प्रोजेक्ट के तौर पर बनाया था. आपने देखा होगा कि आज ज्यादातर लोग इंटरनेट के इस्तेमाल के साथ ही गूगल यूज़ करना शुरू कर देते है. 

लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा कि वो जीनियस था कौन  जिसके दिमाग में सबसे पहले गूगल का आईडिया आया? ये दोनों ब्रिलिएंट पी. एच. डी. स्टूडेंट आज दुनिया के सबसे अमीर  लोगों  में गिने जाते है. अगर आप इस बारे में और जानना चाहते है तो आइए, पढ़ते है उस जोड़े की कहानी जिन्होंने इंटरनेट के शुरुवाती दिनों में गूगल क्रिएट किया था.  

लैरी पेज का शुरूआती जीवन (Early years of Larry page)
लॉरेंस पेज मिशिगन शहर में जन्मे थे, उनके पिता डॉक्टर कार्ल विक्टर पेज मिशिगन स्टेट  यूनिवर्सिटी  में  कंप्यूटर साइंस और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस के प्रोफेसर थे. उनकी मदर ग्लोरिया भी कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की टीचर थी. इसलिए लैरी को बचपन से ही कंप्यूटर और टेक्नोलोजी के बारे में जानने और समझने का मौका मिल गया था क्योंकि उनके घर में कई फर्स्ट जेनेरेशन पर्सनल कंप्यूटर थे और कई टेक मैगज़ीन भी आती थी. इसलिए कोई हैरानी की बात  नहीं 

 अगर पेज के बड़े भाई, कार्ल पेज जूनियर, आज एक जाने-माने इंटरनेट एंटप्रेन्योर है. पेज ने मिशिगन  यूनिवर्सिटी  से पढाई की थी. वो अपने कॉलेज के सोलर कार टीम का पार्ट थे जो सस्टेनेबल vehicle  टेक्नोलोजी एक्सप्लोर कर रही थी, जिसके बारे में पेज आज भी काफी पैशनेट है. उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बैचलर की डिग्री ली और उसके बाद जल्द ही पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए स्टैंडफोर्ड  यूनिवर्सिटी  में दाखिला ले लिया. 

जब वो स्टैंडफोर्ड में थे तो उन्ही दिनों उन्होंने एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किया था जिसकी वजह से गूगल का जन्म हुआ. इस प्रोजेक्ट में उन्हें इंटरनेट और वेबसाइट के बीच लिंक करने वाले पैटर्न को ऐनालाईज़ करना था. इस प्रोजेक्ट में उन्होंने अपने क्लासमेट सर्गे ब्रिन की हेल्प ली जो उन्ही की तरह स्टैंडफोर्ड के साइंस ग्रेजुएट थे. 

Exposure to computers and technology from a young age

लैरी पेज एक ऐसे इंसान के बेटे थे जो कंप्यूटर की खोज या उसका रास्ता बनाने वाले माने जाते थे. इंटरनेट के शुरुवाती दौर से ही लैरी के दोनों पेरेंट्स कंप्यूटर को लेकर पैशनेट थे और यही वजह थी कि उनके घर में कई सारे फर्स्ट जेनरेशन कंप्यूटर रखे हुए थे. 

अब इसमें हैरानी की कोई बात  नहीं  कि ऐसे माहौल में रहते हुए लैरी बचपन से ही टेक्नोलज़ी और कंप्यूटर की तरफ अट्रेक्ट होने लगे थे. घर के माहौल ने उन्हें लाइफ में सही डायरेक्शन भी दी जिसने उनके अंदर कंप्यूटर के लिए गहरी दिलचस्पी पैदा कर दी थी. यही कारण था कि उन्होंने अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई  के लिए सब्जेक्ट के तौर पर कंप्यूटर साइंस चूज़ किया था .  

wired.com को दिए एक इंटरव्यू में पेज ने बताया कि “ उनका बचपन से ही एक इन्वेंटर बनने का सपना था और वो नए-नए गैजेट बनाकर दुनिया को बदलना चाहते है”. बाद में मिशिगन  यूनिवर्सिटी  में जब वो एक अंडर ग्रेजुएट स्टूडेंट थे, तो वहां एक स्टूडेंट लीडरशिप प्रोग्राम” LeaderShape, से बड़े मोटिवेट हुए जिसकी टैगलाइन थी “”a healthy disregard for the impossible.”” जिसका मतलब है “हम नामुमकिन शब्द को नहीं मानते”. 

Puri Kahaani Sune.

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(Hindi) Narak Ka Marg

(Hindi) Narak Ka Marg

“रात 'भक्तमाल' पढ़ते-पढ़ते न जाने कब नींद आ गयी। कैसे-कैसे महात्मा थे जिनके लिए भगवान का प्रेम  ही सब कुछ था, इसी में लगे रहते थे। ऐसी भक्ति बड़ी तपस्या से मिलती है। क्या मैं यह तपस्या नहीं कर सकती? इस जीवन में और कौन-सा सुख रखा है? गहनों से जिसे प्यार हो वह जाने, यहाँ तो इनको देखकर आँखें फूटती हैं; धन-दौलत पर जो जान देता हो वह जाने, यहाँ तो इसका नाम सुनकर बुखार-सा चढ़ आता है। कल पगली सुशीला ने कितनी उमंगों से मेरा शृंगार किया था, कितने प्यार से बालों में फूल गूँथे थे।

कितना मना करती रही, न मानी। आखिर वही हुआ जिसका मुझे डर था। जितनी देर उसके साथ हँसी थी, उससे कहीं ज्यादा रोयी। दुनिया में ऐसी भी कोई औरत है, जिसका पति उसका शृंगार देख कर सिर से पाँव तक जल उठे? कौन ऐसी औरत है जो अपने पति के मुँह से ये शब्द सुने- “”तुम मेरा परलोक बिगाड़ोगी, और कुछ नहीं, तुम्हारे रंग-ढंग कह रहे हैं।”” और उसका दिल जहर खा लेने को न चाहे? भगवान्! दुनिया में ऐसे भी इंसान हैं। आखिर मैं नीचे चली गयी और 'भक्तमाल' पढ़ने लगी। अब वृंदावन-बिहारी ही की सेवा करूँगी, उन्हीं को अपना शृंगार दिखाऊँगी, वह तो देखकर न जलेंगे, वह तो मेरे मन का हाल जानते हैं।

भगवान्! मैं अपने मन को कैसे समझाऊँ! तुम अंतर्यामी हो, तुम मेरे रोम-रोम का हाल जानते हो। मैं चाहती हूँ कि उन्हें अपना भगवान समझूँ, उनके पैरों की सेवा करूँ, उनके इशारे पर चलूँ, उन्हें मेरी किसी बात से, किसी व्यवहार से जरा भी दुख न हो। वह बेकसूर हैं, जो कुछ मेरी  किस्मत में था वह हुआ, न उनकी गलती है, न माता-पिता की, सारी गलती मेरे नसीब की ही है।

लेकिन यह सब जानते हुए भी जब उन्हें आते देखती हूँ, तो मेरा दिल बैठ जाता है, मुँह पर मौत-सी छा जाती है, सिर भारी हो जाता है; जी चाहता है इनकी सूरत न देखूँ, बात तक करने को मन नहीं चाहता; शायद दुश्मन को भी देख कर किसी का मन इतना खराब न होता होगा। उनके आने के समय दिल में धड़कन-सी होने लगती है। दो-एक दिन के लिए कहीं चले जाते हैं तो दिल पर से एक बोझ-सा उठ जाता है; हँसती भी हूँ, बोलती भी हूँ, जीवन में कुछ मजा आने लगता है लेकिन उनके आने की खबर पाते ही फिर चारों ओर अंधेरा छा जाता है ! मन की ऐसी हालत क्यों है, यह मैं नहीं कह सकती।

मुझे तो ऐसा जान पड़ता है कि पिछले  जन्म में हम दोनों में दुश्मनी थी, उसी दुश्मनी का बदला लेने के लिए इन्होंने मुझसे शादी की है, वही पुराने संस्कार हमारे मन में बने हुए हैं। नहीं तो वह मुझे देख-देखकर क्यों जलते और मैं उनकी सूरत से क्यों नफरत करती? शादी करने का तो यह मतलब नहीं हुआ करता! मैं अपने घर इससे कहीं सुखी थी। शायद मैं जीवन भर अपने घर में मजे से रह सकती थी। लेकिन इस समाज के नियमों का बुरा हो, जो बदकिस्मत लड़कियों को किसी-न-किसी आदमी के गले में बाँध देना जरूरी समझती है।

वह क्या जानता है कि कितनी लडकियां  उसके नाम को रो रही हैं, कितनी  इच्छाओं से लहराते हुए, कोमल दिल उसके पैरों तले रौंदे जा रहे हैं? लड़की के लिए पति कैसी-कैसी मीठी कल्पनाओं का जरिया होता है। आदमी में जो सबसे अच्छा है, बढ़िया है, उसकी सजीव मूर्ति इस शब्द के ध्यान में आते ही उसकी नजरों के सामने आकर खड़ी हो जाती है। लेकिन मेरे लिए यह शब्द क्या है। दिल में उठने वाला दर्द, कलेजे में खटकनेवाला काँटा, आँखों में गड़ने वाली किरकिरी, आत्मा में चुभनेवाला तानो का तीर! 

सुशीला को हमेशा हँसते देखती हूँ। वह कभी अपनी गरीबी की शिकायत नहीं करती; गहने नहीं हैं, कपड़े नहीं हैं, भाड़े के छोटे से मकान में रहती है, अपने हाथ से  घर का सारा काम-काज करती है, फिर भी उसे रोते नहीं देखती। अगर अपने बस की बात होती तो आज अपने पैसों को उसकी गरीबी से बदल लेती। अपने पतिदेव को मुस्कराते हुए घर में आते देखकर उसका सारा दुख और गरीबी गायब हो जाते हैं , छाती चौड़ी हो जाती है। उसकी  बांहों में वह सुख है, जिस पर तीनों लोक का पैसा न्योछावर कर दूँ।

Puri Kahaani Sune..

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(Hindi) Aaga Peechha

(Hindi) Aaga Peechha

“सुंदरता और जवानी के चंचल आराम के बाद कोकिला अब उस दुखी जीवन के निशान को आँसुओं से धो रही थी। बीते हुए जीवन की याद आते ही उसका दिल बेचैन हो जाता और वह उदासी और निराशा से परेशान होकर पुकार उठती- “”हाय! मैंने दुनिया में जन्म ही क्यों लिया?””

उसने दान और व्रत से उन कालिख को धोने की  कोशिश की और जीवन के बसंत की सारी पूंजी इस बेकार कोशिश में लुटा दी। पर यह समझ क्या किसी महात्मा का वरदान या किसी पूजा  का फल था? नहीं, यह उस नवजात बच्चे को पहली बार देखने का फल था, जिसके जन्म ने आज पन्द्रह साल से उसकी सूनी गोद को भर दिया था। बच्चे का मुंह देखते ही उसके नीले होंठों पर एक कमजोर, दुखी, उदास मुस्कराहट झलक गई पर सिर्फ एक पल के लिए।

एक पल के बाद वह मुस्कराहट एक लम्बी साँस में गायब हो गयी। उस हल्के, कमजोर, कोमल रोने ने कोकिला के जीवन का रुख फेर दिया। ममता की वह रोशनी उसके लिए जीवन-सन्देश और मौन उपदेश थी।

कोकिला ने उस बच्ची का नाम रखा श्रृद्धा। उसी के जन्म से तो उसमें श्रृद्धा पैदा हुई थी। वह श्रृद्धा को अपनी लड़की नहीं, किसी देवी का अवतार समझती थी। उसकी सहेलियाँ उसे बधाई देने आतीं; पर कोकिला बच्ची  को उनकी नजरों से छिपाती। उसे यह भी मंजूर न था कि उनकी पापी नजर भी उस पर पड़े।

श्रृद्धा ही अब उसकी पूंजी, उसकी आत्मा, उसके जीवन की रोशनी थी। वह कभी-कभी उसे गोद में लेकर इच्छाओं से छलकती हुई आँखों से देखती और सोचती क्या यह पवित्र  ज्योति भी वासना के खतरनाक हमलों का शिकार होगी? मेरी कोशिश बेकार हो जाएगी ? आह! क्या कोई ऐसी दवा नहीं है, जो जन्म के संस्कारों को मिटा दे? भगवान से वह हमेशा प्रार्थना करती कि मेरी श्रृद्धा किन्हीं काँटों में न उलझे। वह बात और काम से, सोच और व्यवहार से उसके सामने औरत के जीवन का ऊँचा आदर्श रखेगी।

श्रृद्धा इतनी सरल, इतनी होशियार, इतनी बुद्धिमान  थी कि कभी-कभी कोकिला ममता से गद्गद होकर उसके तलवों को अपने माथे  से रगड़ती और पछतावे और खुशी के आँसू बहाती।

सोलह साल बीत गये। पहले की भोली-भाली श्रृद्धा अब एक शांत, शर्मीली लड़की  थी, जिसे देखकर आँखें तृप्त हो जाती थीं। पढ़ाई में डूबी रहती थी, पर दुनिया से दूर। जिनके साथ वह पढ़ती थी वे उससे बात भी न करना चाहती थीं। ममता के वातावरण में पड़कर वह घोर घमंडी हो गई थी। ममता के वातावरण, सखी-सहेलियों के अलगाव, रात-दिन की घोर पढ़ाई और किताबों के साथ रहने से अगर श्रृद्धा को घमंड हो आया, तो आश्चर्य की कौन-सी बात है! उसे किसी से भी बोलने का हक न था।

स्कूल में भले घर की लड़कियाँ उसके साथ रहने में अपना अपमान समझती थीं। रास्ते में लोग उँगली उठाकर कहते “”क़ोकिला वैश्या की लड़की है।”” उसका सिर झुक जाता, गाल पल भर के लिए लाल होकर दूसरे ही पल फिर चूने की तरह सफेद हो जाते। श्रृद्धा को अकेलेपन से प्यार था। वो शादी को भगवान की सज़ा समझती थी। अगर कोकिला ने कभी उसकी बात चला दी, तो उसके माथे पर बल पड़ जाते, चमकते हुए लाल चेहरे पर कालिमा छा जाती, आँखों से झर-झर आँसू बहने लगते; कोकिला चुप हो जाती। दोनों के जीवन-आदर्शों में विरोध था।

कोकिला समाज के देवता की पुजारिन थी और श्रृद्धा को समाज से, भगवान से और इंसान से नफरत थी । अगर दुनिया में उसे कोई चीज प्यारी थी, तो वह थी उसकी किताबें । श्रृद्धा उन्हीं विद्वानों के साथ में अपना जीवन बिताती , जहाँ ऊँच-नीच का भेद नहीं, जाति-पाति की जगह नहीं, सबका हक समान हैं। श्रृद्धा की पूरी प्रकृति का परिचय महाकवि रहीम के एक दोहे के पद से मिल जाता है।

“”प्यार सहित मरिबो भलो, जो विष देय बुलाय।””

अगर कोई प्यार से बुलाकर उसे जहर दे देता, तो वह सिर झुकाकर उसे अपने माथे से लगा लेती लेकिन बेइज्जती से दिये हुए अमृत की उसकी नजरों में कोई इज्ज़त न थी।

एक दिन कोकिला ने आँखों में आँसूभर कर श्रृद्धा से कहा- “”क्यों मन्नी, सच बताना, तुझे यह शर्म तो लगती ही होगी कि मैं क्यों इसकी बेटी हुई। अगर तू किसी ऊँचे कुल में पैदा हुई होती, तो क्या तब भी तेरे दिल में ऐसे ख्याल आते? तू मन-ही-मन मुझे जरूर कोसती होगी।””

श्रृद्धा माँ का मुँह देखने लगी। माँ से इतनी श्रृद्धा कभी उसके दिल में पैदा नहीं हुई थी। वो काँपते हुए आवाज में बोली- “”अम्माँजी, आप मुझसे ऐसे सवाल क्यों करती हैं? क्या मैंने कभी आपका अपमान किया है?””

कोकिला ने गदगद होकर कहा- “”नहीं बेटी, उस परम दयालु भगवान् से यही प्रार्थना है कि तुम्हारी जैसी प्यार  लड़की सबको दे। पर कभी-कभी यह ख्याल आता है कि तू जरूर ही मेरी बेटी होकर पछताती होगी।””

श्रृद्धा ने धीमे गले से कहा- “”अम्माँ, आपकी यह भावना गलत है। मैं आपसे सच कहती हूँ, मुझे जितनी श्रृद्धा और भक्ति आपके लिए है, उतनी किसी के लिए नहीं। आपकी बेटी कहलाना मेरे लिए शर्म की नहीं, गर्व की बात है। इंसान हालातों का गुलाम  होता है। आप जिस वातावरण में पलीं, उसका असर तो पड़ना ही था; लेकिन पाप के दलदल में फँसकर फिर निकल आना जरूर गौरव की बात है। बहाव की ओर से नाव खे ले जाना तो बहुत सरल है; लेकिन जो नाविक बहाव के उल्टी दिशा में नाव  खे ले जाता है, वही सच्चा नाविक है।””

Puri Kahaani Sune..

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Total Recall: My Unbelievably True Life Story (Marathi)

Total Recall: My Unbelievably True Life Story (Marathi)

“या पुस्तकातून आपण काय शिकला ?
अर्नोल्ड श्वार्झनेगर चे जीवन टर्मिनेटरच्या हिरोपेक्षा खुप मोठे आहे. त्यांच्या आयुष्यातील काही प्रिन्सिपल्स जे त्यांनी या पुस्तकात शेयर केले आहेत ते तुम्ही तुमच्या आयुष्यात वापरू शकता आणि त्या सर्व गोष्टी साध्य करू शकता ज्याचे तुम्ही स्वप्न पाहिले आहे.

 

हे पुस्तक कोणी वाचावे?

टर्मिनेटरच्या भूमिकेत अर्नोल्ड श्वार्झनेगर यांना कोणीही विसरू शकत नाही. ते इंटरनॅशनल मूवी स्टार आहेतच तसेच त्यांना बॉडी बिल्डिंग मध्ये देव म्हणून देखील संबोधले जाते. अशी कोणतीही जिम नाही ज्यात अर्नोल्ड श्वार्झनेगरचे पोस्टर नाही. प्रत्येकाला त्यांच्यासारखी बॉडी हवी आहे, पण जर त्यांच्यासारखी स्ट्रोंग विलपॉवर हवी असेल तर एकदा हे पुस्तक नक्कीच वाचा.

 

या पुस्तकाचे लेखक कोण आहेत?
हे पुस्तक अर्नोल्ड श्वार्झनेगर यांचे आत्मचरित्र आहे जे त्यांनी स्वतः लिहले,  हे पुस्तक 1 ऑक्टोबर 2012 रोजी पब्लिश करण्यात आले होते.

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(Hindi) Lead with a Story: A Guide to Crafting Business Narratives That Captivate, Convince, and Inspire

(Hindi) Lead with a Story: A Guide to Crafting Business Narratives That Captivate, Convince, and Inspire

“एक आदमी जिसकी जॉब टाइटल कॉरपोरेट स्टोरीटेलर है। एक innkeeper, जो अपने कस्टमर के खोए हुए सामान को खोजने के लिए dustbin में सामान ढूँढने लगी । एक Pizza Hut कुक, जिसने एक मीटबॉल सैंडविच बेचा। एक मार्केटिंग डायरेक्टर की रिपोर्ट, जिसने पूरी टीम को inspire किया। ऐसी ही कुछ कहानियाँ  आप इस समरी में पढ़ेंगे और सीखेंगे की क्यों आपको अपनी खुद की स्टोरी लिखनी, बतानी और दूसरों के साथ शेयर करनी चाहिए।

इस समरी को किसे पढ़ना चाहिए?
•    स्टार्ट अप फाउंडर को 
•    CEO को
•    मैनेजर को
•    सिनियर executives को
•    टीम लीडर को
•    Employee को

ऑथर के बारे में
Paul Smith एक keynote स्पीकर, बेस्ट सेलिंग ऑथर, ट्रेनर और कंसलटेंट हैं। उन्होंने Procter & Gamble में 20 साल काम किया है। Paul ने P&G के $6 billion पेपर बिजनेस के consumer and communications research में डायरेक्टर के रूप में काम किया है। Paul ने Google, HP, Ford, Walmart, जैसी कई बड़ी कंपनी के executives को कहानी सुनाने के इम्पोर्टेंस के बारे में ट्रेन किया है।
 

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(Hindi) Mini Habits: Smaller Habits, Bigger Results

(Hindi) Mini Habits: Smaller Habits, Bigger Results

“नए साल की शुरुवात मे बहुत सारे लोग बदलने का फैसला करते हैं। कुछ लोग और ज्यादा मेहनत करना चाहते हैं, कुछ लोग  जिंदगी का और मज़ा लेना चाहते हैं और कुछ तो आसमां की ऊँचाइयों को छूने के सपने देखते हैं। लेक़िन ज्यादातर लोग अपने  plan  को फॉलो करने में fail हो जाते हैं और उसे बीच में छोड़ देते हैं। ये समरी आपको सिखाएगी कि लोगों के plan क्यों fail होते हैं और आप मिनी हैबिट सिस्टम फॉलो कर के क्या-क्या अचीव कर सकते हैं।

यह समरी किसे पढ़नी चाहिए?

इस समरी का मकसद उन  लोगों  की मदद करना है जिनके पास  plan  तो है लेक़िन वो कभी भी उन्हें पूरा नहीं कर पाते।अगर आप ज्यादा फिट होना चाहते हैं, ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं, पहले से ज़्यादा स्मार्ट बनना चाहते हैं या जो कुछ भी करना चाहते हैं तो ये समरी आपके लिए है।

अथॉर के बारे मे
Stephen Guise मिनी हैबिट्स के राइटर हैं और Deeper Existence वेबसाइट के फाउंडर भी हैं.  इस वेबसाइट का मकसद है लोगों  को समझाना कि वो मोटिवेशन पर कम ध्यान दें और कैसे अपनी स्ट्रेटेजी को और improve  करने में फोकस करें । stephen अपनी बेस्ट सेलिंग बुक “Mini Habits ” के लिए जाने जाते हैं। जिसके बाद उन्होंने एक वीडियो कोर्स किया जो ऑनलाइन टॉप highest रेटेड कोर्सेज मे से एक था। Stephen हैबिट बिल्डिंग और स्ट्रेटेजी formation के लिए पूरी दुनिया मे जाने जाते हैं।
 

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(Hindi) How They Succeeded: Life Stories of Successful Men Told by Themselves

(Hindi) How They Succeeded: Life Stories of Successful Men Told by Themselves

“कामयाबी तक पहुंचना कोई रातों-रात होने वाली बात नहीं होती. अपने मंज़िल के करीब पहुँचने से पहले आपको काफी पड़ाव और मुश्किलों से गुज़रना पड़ सकता हैं. और, अक्सर, ये मुश्किलें आपको आपकी लिमिट तक धकेल देती हैं. लेकिन, अगर आप कामयाब होना चाहते हैं, तो आपको किसी भी हालात में खुद को नहीं रोकना चाहिए. इस समरी में, आप  एलेक्ज़ेंडर ग्राहम बेल, जॉन वानमेकर, जॉन डी.  रॉकफ़ेलर , थॉमस एडिसन और एंड्रयू कार्नेगी की कामयाबी की कहानियों से इंस्पायर होंगे.

इस समरी से कौन सीख सकता हैं?
• एंट्रेप्रेन्योर 
•एम्पलॉईस 
•यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट 
• जो अपनी ज़िंदगी में कामयाब होना चाहता हैं

ऑथर के बारे में
ऑरिसन स्वेट मार्डेन एक इंस्पिरेशनल राइटर थे जिन्होंने लाइफ में सक्सेस हासिल करने के बारे में लिखा है. वो 1897 में सक्सेस मैगज़ीन के फाउंडर थे. वे ख़ासतौर से उन वैल्यूस और प्रिंसिपल्स के बारे में लिखते थे जिससे एक कामयाब ज़िंदगी जी जा सकती है. उनकी पहली बुक-“”पुशिंग टू द फ्रंट”” 1894 में पब्लिश हुई थी जो फ़ौरन बेस्ट-सेलर बन गई थी. ऑरिसन की  50 से भी ज़्यादा किताबें पब्लिश हो चुकी हैं.

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You Are a Badass: How to Stop Doubting Your Greatness and Start Living an Awesome Life (Marathi)

You Are a Badass: How to Stop Doubting Your Greatness and Start Living an Awesome Life (Marathi)

“पुस्तकाविषयी: 
तुम्ही तुमच्याबद्दल ज्या काही नकारात्मक गोष्टींचा विचार करता त्या पूर्णपणे खोट्या आहेत. तुम्ही देखील यशस्वी, श्रीमंत, आनंदी होऊ शकता. या पुस्तकात, जेन सिंचेरो आपल्याला सेल्फ लव बदल सांगतात आणि आपण स्वतःवर विश्वास कसा ठेवावा हे देखील शिकवतात. तसेच आपण वास्तवात का आणि कसे जगू शकतो हे देखील तुम्ही शिकू शकता. 

 

हे पुस्तक कोणाला वाचायला हवे? 
•जे पलंगावर बसून टीव्ही पाहण्यात वेळ घालवतात. 
•जे लोक स्वत:ला कुरुप समजतात. 
दुःखी, गरीब, बेरोजगार किंवा नोकरीत खुश नसलेल्या लोकांनी हे पुस्तकं नक्कीच वाचायला हवे.
•ज्यांना स्वतः च्या किंवा इतरांच्या आयुष्यात सकारात्मक बदल घडवून आणायचा आहे. 

 

लेखकाविषयी:
जेन सिंचेरो एक यशस्वी प्रशिक्षक, मोटिवेशनल स्पीकर आणि प्रसिद्ध लेखिका आहे. त्या आपल्या पुस्तकांद्वारे, बातमीपत्रांतून, कार्यक्रमांतून आणि चर्चासत्राद्वारे लोकांना आपले जीवन बदलण्यासाठी मोटिवेट करतात. जेन कॅलिफोर्नियाच्या लॉस एंजेलिसमध्ये राहतात पण त्या त्यांचे विचार सगळ्या  जगापर्यंत पोचवण्यासाठी प्रयत्न करत आहेत.
 

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(Hindi) Kalpana Chawla

(Hindi) Kalpana Chawla

“यह बुक कल्पना चावला की ज़िंदगी की कहानी है. यह उनके बचपन से लेकर तब तक की कहानी है जब तक कि वो हर उस शख्स के लिए एक इंस्पिरेशन नहीं बन गई जो अंतरिक्ष तक की उड़ान भरना चाहता हैं.

इस बुक को कौन पढ़ सकता है?
हर वो शख्स जो एस्ट्रोनॉट बनने के लिए इंस्पिरेशन ढूंढ रहा हैं. हर वो शख्स जो एक छोटी सी लड़की की हैरान कर देने वाले शानदार सफ़र के बारे में जानना चाहता है, जिसकी शरुआत भारत के एक छोटे से गांव से हुई और जिन्होंने आसमान की ऊँचाइयों को छूआ.

 

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Insanely Simple: The Obsession That Drives Apple’s Success (hINDI)

Insanely Simple: The Obsession That Drives Apple’s Success (hINDI)

“क्या आप  Apple के प्रोडक्ट और स्टीव जॉब्स के फैन है? अगर हाँ तो ये आपके लिए एक परफेक्ट समरी  है.  Apple को लोग पसंद करते है तो इसका एक बड़ा रीजन है उसकी सिंपलीसिटी. इस समरी में आप सीखोगे कि  Apple ने ह्मेशा से ही सिंपलीसिटी को अपना कोर एलिमेंट रखा है जो आप भी अपनी ऑर्गेनाईजेशन में अप्लाई कर सकते है. अगर आप स्टीव जॉब्स के फैन है तो इस समरी में आप उनकी लाइफ से जुडी कई और ऐसी बाते चलेंगी कि आप उनके और भी ज्यादा फैन हो जाओगे. 

ये समरी किस-किसको पढनी चाहिए ? 
•    स्टार्ट-अप फाउंडर्स को 
•     एडवरटाइजिंग स्टाफ को 
•    एंटप्रेन्योर्स को 
•    टीम लीडर्स को 
•    सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स को 

ऑथर के बारे में 
केन  सीगल  एक ऑथर है जिन्होंने सिंपलीसिटी पर दो किताबें लिखी हैं. साथ ही वो एक एडवरटाइजिंग  क्रिएटिव डायरेक्टर भी हैं. उन्होंने स्टीव जॉब्स के साथ 12 साल NeXT से लेकर  Apple तक काम किया है. केन  सीगल ” थिंक डिफरेंट” कैंपेन के ग्लोबल क्रिएटिव डायरेक्टर और “Crazy Ones” कमर्शियल के को-राईटर भी हैं. इसके अलावा केन इंटेल, डेल और आईबीएम जैसी कंपनीयों के क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुके हैं. 
 

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(Hindi) Linchpin: Are You Indispensable?

(Hindi) Linchpin: Are You Indispensable?

“ये समरी किस-किसको पढ़नी चाहिए ? Who will learn from this summary?
•    एंट्री लेवल एम्प्लोईज़ और मिड लेवल एम्प्लोईज़ 
•    हर कोई जिसे अपनी जॉब में मोटिवेशन चाहिए 

ऑथर के बारे में 

सेठ गोदीन एक बेस्ट सेलिंग ऑथर, ब्लॉगर, ट्रेनर और एंट्रप्रेन्योर है. पहले वो बुक पकेजिंग और डॉट.कॉम बिजनेस में थे और अब वो एक प्राउड ऑथर है जिनकी 19 बिजनेस बुक्स पब्लिश हो चुकी है. सेठ मार्केटिंग वर्कशॉप्स और ऑनलाइन कोर्सेस भी ऑफर करते है. वो अपने ब्लॉग्स के थ्रू लोगो को एजुकेट करते रहते है. 

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(Hindi) Sabhyata Ka Rahasya

(Hindi) Sabhyata Ka Rahasya

“यों तो मेरी समझ में दुनिया की एक हजार एक बातें नहीं आती, जैसे लोग सुबह उठते ही बालों पर छुरा क्यों चलाते हैं? क्या अब आदमियों में भी इतनी नजाकत आ गयी है कि बालों का बोझ उनसे नहीं सँभलता? एक साथ ही सभी पढ़े-लिखे आदमियों की आँखें क्यों इतनी कमजोर हो गयी है? दिमाग की कमजोरी ही इसका कारण है या और कुछ? लोग खिताबों के पीछे क्यों इतने हैरान होते हैं? वगैरह-वगैरह । लेकिन इस समय मुझे इन बातों से मतलब नहीं है । मेरे मन में एक नया सवाल उठ रहा है और उसका जवाब मुझे कोई नहीं देता।

 

सवाल यह है कि सभ्य कौन है और असभ्य कौन? सभ्यता के लक्षण क्या हैं? सरसरी नजर से देखिए, तो इससे ज्यादा आसान और कोई सवाल ही न होगा। बच्चा-बच्चा इसका जवाब दे सकता है। लेकिन जरा गौर से देखिए, तो सवाल इतना आसान नहीं जान पड़ता। अगर कोट-पैंट  पहनना, टाई-हैट लगाना, मेज पर बैठकर खाना खाना, दिन में तेरह बार कोको या चाय पीना और सिगार पीते हुए चलना सभ्यता है, तो उन गोरों को भी सभ्य कहना पड़ेगा, जो सड़क पर बैठकर शाम को कभी-कभी टहलते नजर आते हैं; शराब के नशे से आँखें सुर्ख, पैर लड़खड़ाते हुए, रास्ता चलने वालों को बेवजह  छेड़ने की धुन जिन पर सवार रहती है ! क्या उन गोरों को सभ्य कहा जा सकता है? कभी नहीं। तो यह सिद्ध हुआ कि सभ्यता कोई और ही चीज है, उसका शरीर से इतना सम्बन्ध नहीं है जितना मन से है ।

मेरे गिने-चुने  दोस्तों में एक राय रतनकिशोर भी हैं। वह बहुत ही अच्छे दिल के, दयालु, बहुत पढ़े लिखे और एक बड़े पद पर काम करते हैं। बहुत अच्छी तनख्वाह पाने पर भी उनकी आमदनी खर्च के लिए काफी नहीं होती थी । एक चौथाई तनख्वाह तो बँगले पर ही खर्च हो जाती है। इसलिए वो  अक्सर चिंता में रहते हैं। रिश्वत तो नहीं लेते, कम-से-कम मैं नहीं जानता, हालाँकि कहने वाले कहते हैं, लेकिन इतना जानता हूँ कि वह भत्ता (सैलरी) बढ़ाने के लिए दौरे पर बहुत रहते हैं, यहाँ तक कि इसके लिए हर साल बजट में किसी दूसरे बहाने से रुपये निकालने पड़ते हैं।

 

उनके अफसर कहते हैं, इतने दौरे क्यों करते हो, तो जवाब देते हैं, इस जिले का काम ही ऐसा है कि जब तक खूब दौरे न किए जाएँ जनता  शांत नहीं रह सकती। लेकिन मजा तो यह है कि राय साहब उतने दौरे असल में नहीं करते, जितने कि अपने डायरी में लिखते हैं। उनके पड़ाव शहर से पचास मील पर होते हैं। खेमे वहाँ गड़े रहते हैं, कैंप के कर्मचारी वहाँ पड़े रहते हैं और राय साहब घर पर दोस्तों के साथ गप-शप करते रहते हैं, पर किसी की मजाल है कि राय साहब की नीयत पर शक कर सके। उनके सभ्य आदमी होने में किसी को शक नहीं हो सकता।

एक दिन मैं उनसे मिलने गया। उस समय वह अपने घास वाले दमड़ी को डाँट रहे थे। दमड़ी रात-दिन का नौकर था, लेकिन रोटी खाने घर जाया करता था। उसका घर थोड़ी ही दूर पर एक गाँव में था। कल रात को किसी कारण से यहाँ न आ सका। इसलिए डाँट पड़ रही थी।

राय साहब- “”जब हम तुम्हें रात-दिन के लिए रखे हुए हैं, तो तुम घर पर क्यों रहे? कल के पैसे कट जायेंगे।”” 

दमड़ी- “”हजूर, एक मेहमान आ गये थे, इसी से न आ सका।””

राय साहब- “”तो कल के पैसे उसी मेहमान से लो।””

दमड़ी- “”सरकार, अब कभी ऐसी गलती न होगी।””

राय साहब- “”बक-बक मत करो।””

दमड़ी- “”हजूर……””

राय साहब- “”दो रुपये जुरमाना।””

दमड़ी रोता चला गया। माफी मांगने आया था, उल्टे सजा मिल गई। दो रुपये जुरमाना ठुक गया। गलती यही थी कि बेचारा कसूर माफ कराना चाहता था।
यह एक रात को गैरहाज़िर होने की सजा थी! बेचारा दिन-भर का काम कर चुका था, रात को यहाँ सोया न था, उसकी सजा और घर बैठे पैसे  उड़ाने वाले को कोई नहीं पूछता! कोई सजा नहीं देता। सजा तो मिले और ऐसी  मिले कि जिंदगी-भर याद रहे; पर पकड़ना तो मुश्किल है। दमड़ी भी अगर होशियार होता, तो सुबह होने से पहले आकर कमरे में सो जाता। फिर किसे खबर होती कि वह रात को कहाँ रहा। पर गरीब इतना चंट न था।

दमड़ी के पास कुल छ: बिस्वे जमीन थी। पर इतने ही लोगों का खर्च भी था। उसके दो लड़के, दो लड़कियाँ और पत्नी, सब खेती में लगे रहते थे, फिर भी पेट की रोटियाँ नहीं जुटती थीं। इतनी जमीन क्या सोना उगल देती! अगर सब-के-सब घर से निकल मजदूरी करने लगते, तो आराम से रह सकते थे; लेकिन खानदानी किसान मजदूर कहलाने का अपमान न सह सकता था।

 

इस बदनामी से बचने के लिए दो बैल बाँध रखे थे! उसके तनख्वाह का बड़ा भाग बैलों के दाने-चारे ही में उड़ जाता था। ये सारी तकलीफें मंजूर थीं, पर खेती छोड़कर मजदूर बन जाना मंजूर न था। किसान की जो इज्जत है, वह कहीं मजदूर की हो सकती है, चाहे वह रुपया रोज ही क्यों न कमाये? किसानी के साथ मजदूरी करना इतने अपमान की बात नहीं, दरवाजे पर बँधे हुए बैल उसकी मान-रक्षा किया करते हैं, पर बैलों को बेचकर फिर कहाँ मुँह दिखलाने की जगह रह सकती है!

एक दिन राय साहब उसे सर्दी से काँपते देखकर बोले- “”कपड़े क्यों नहीं बनवाता? काँप क्यों रहा है?””

दमड़ी- “”सरकार, पेट की रोटी तो पूरी नहीं पड़ती, कपड़े कहाँ से बनवाऊँ?””

राय साहब- “”बैलों को बेच क्यों नहीं डालता? सैकड़ों बार समझा चुका, लेकिन न-जाने क्यों इतनी मोटी-सी बात तेरी समझ में नहीं आती।””

दमड़ी- “”सरकार, बिरादरी में कहीं मुँह दिखाने लायक न रहूँगा। लड़की की सगाई न हो पायेगी, जाति से बाहर कर दिया जाऊँगा।””

राय साहब- “”इन्हीं बेवकूफियों से तुम लोगों की यह बुरी हालत हो रही है। ऐसे आदमियों पर दया करना भी पाप है। (मेरी तरफ मुड़कर) क्यों मुंशीजी, इस पागलपन का भी कोई इलाज है? जाड़ों मर रहे हैं, पर दरवाजे पर बैल जरूर बाँधेंगे।””

Puri Kahaani Sune…

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Why I Am an Atheist (Marathi)

Why I Am an Atheist (Marathi)

“पुस्तकाबद्दल:
1930 मध्ये जेव्हा भगतसिंग लाहोरच्या सेंट्रल जेलमध्ये बंद होते तेव्हा त्यांनी हा निबंध लिहिला. ते स्वतः नास्तिक होते म्हणजेच जो देवावर विश्वास ठेवत नाही. आणि याच गोष्टीमुळे त्यांचे मित्र त्यांना गर्विष्ठ म्हणू लागले होते.

ते भगतसिंग ला नास्तिक यामुळे म्हणत होते कारण त्यांच्या मते भगतसिंह हे फार अहंकारी आणि गर्विष्ट आहेत. पण भगतसिंग या गोष्टीशी पूर्णतः असहमत होते. या निबंधात त्यांनी सांगितले आहे की नास्तिक होणे म्हणजे गर्विष्ट असणे असं नाही.

या निबंधात किंवा पुस्तकात तुम्ही त्यांच्या स्वतंत्र विचार आणि प्रिन्सिपल्स बद्दल जाणून घेऊ शकता. या पुस्तकात त्यांनी देवावर विश्वास ठेवणाऱ्या लोकांना काही प्रश्न देखील विचारले आहेत.

 

ही बुक समरी कोणी वाचायला पाहिजे?
त्या प्रत्येक भारतीयाने ज्याला भगतसिंग यांचे विचार जाणून घेण्याची इच्छा आहे.

 

या पुस्तकाचे लेखक कोण आहेत?
भगतसिंग हे भारताचे एक महान स्वातंत्र्यसेनानी होते. त्यांनी मृत्यू चा सामना मोठ्या हिमतीने केला, ते मृत्यूला घाबरले नाही, ते आनंदी होते की त्यांनी त्यांचे पूर्ण जीवन भारताच्या स्वातंत्र्यासाठी आणि लोकांना स्वातंत्र्य मिळवून देण्यासाठी लावले. 1931 मध्ये या महान क्रांतिकारकाला फाशी देण्यात आली. तेव्हा ते फक्त तेवीस वर्षांचे होते.

 

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