Insanely Simple: The Obsession That Drives Apple’s Success (hINDI)

Insanely Simple: The Obsession That Drives Apple’s Success (hINDI)

इंट्रोडक्शन

सोचो क्या हो अगर आपको स्टीव जॉब्स के लिए एक प्रेजेटेन्शन तैयार करनी पड़े? आप अपने सारे ग्राफ्स और चार्ट्स सामने खोले बैठे हो और स्टीव जॉब्स रूम में आते है? आप और ज्यादा नर्वस होने लगते हो. आपने अभी तक सिर्फ तीन सेंटेंस लिखे है और स्टीव जॉब्स पास आकर बोलते है” मुझे कुछ समझ नहीं आया. प्लीज़ पॉइंट पर आओ, क्या तुम अपना ये आईडिया सिंपल और आसान वर्ड्स में समझा सकते हो?’

इस समरी में आप यही पढने वाले हो कि क्यों  Apple को  इंसेन्ली  सिंपल बोला जाता है. आप इसमें सिंपलीसिटी के कोर एलिमेंट्स के बारे में पढोगे जो  Apple अपने प्रोडक्ट, अपनी ऑर्गेनाईजेशन, अपने एड्स और कस्टमर सर्विस यानी हर चीज़ में अप्लाई करता है.

इस समरी में आप केन  सीगल  की स्टोरी पढ़ेंगे जो उन्होंने कुछ यादगार वक्त स्टीव जॉब्स के साथ बिताया था. तो तैयार हो जाइए ग्रेट इनोवेटर स्टीव जॉब्स की सिंपल स्टिक के लिए.

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The Simple Stick

Apple की पैकेज डिजाईन टीम उसी वक्त स्टीव जॉब्स के साथ एक मीटिंग करके लौटी थी. उन सबके चेहरों से निराशा  झलक रही थी क्योंकि स्टीव को उनका काम कुछ ख़ास पंसद  नहीं  आया था. टीम ने कई हफ्तों तक मेहनत करके ये प्रोजेक्ट प्लान किया था लेकिन स्टीव जॉब्स ने इसे एकदम से रिजेक्ट कर दिया था, टीम की सारी मेहनत पर पानी फिर गया था.

तब केन  सीगल  ने टीम लीडर से इसकी वजह पूछी, “कैसी रही आज सुबह की प्रेजेंटेशन?”
टीम लीडर ने जवाब दिया “स्टीव ने हमे सिंपल स्टिक से हिट किया है”.
इसका मतलब उनका काम इतना भी बुरा नहीं होगा पर हाँ जरूर वो इसे सिंपलीफाई नहीं कर पाए होंगे.

टीम ने सेम प्रोडक्ट के लिए दो अलग डिजाईन की पैकेजिंग तैयार की थी. स्टीव ने उनसे कहा कि ये ब्रेन डेड है. उसने कहा” इन दोनों को आपस में जोड़ दो. एक प्रोडक्ट् है तो बॉक्स भी एक होना चाहिए,  दूसरे वर्ज़न की कोई जरूरत  नहीं  है”

स्टीव सही बोल रहे थे. एक प्रोडक्ट-एक बॉक्स का आईडिया ज्यादा सिंपल और बैटर था और ये ज्यादा टाइम भी नहीं लेता था. मीटिंग कुछ मिनटों में खत्म हुई और टीम ये सोच रही थी कि उन्हें ये आईडिया पहले क्यों  नहीं  आया.

सिंपल स्टिक  Apple की कोर वैल्यू थी. ये एक केवमेन के क्लब की तरह थी जिस पर वो अपने आईडिया को कसौटी पर परखते थे. यही वो चीज़ थी जो  Apple को बाकि टेक कंपनीज़ से डिफरेंट बनाती थी.  Apple पॉवर ऑफ़ सिंपलीसिटी पर आँख बंदकर यकीन रखती थी.

सिंपलीसिटी पर  Apple फोकस हद से ज्यादा था, उनके पैशन से बढ़कर था. यानी एक तरह से बोले तो  Apple को सिंपलीसिटी का जुनून था.

सिंपलीसिटी ही वो चीज़ है जो  Apple को वो बनाने के लिए ड्राइव करती है जो चीज़ हमे  Apple के प्रोडक्ट्स में नज़र आती है. सिंपलीसिटी ही  Apple को बार-बार एक रेवोल्यूशन लाने के लिए इंस्पायर करती है. जैसे-जैसे ये दुनिया बदल रही है और टेक्नॉलज़ी में नए-नए बदलाव  आ रहे है,  Apple भी वक्त के साथ खुद को बदलता है पर एक चीज़ इसकी कभी नहीं बदलती और वो है वैल्यू ऑफ़ सिंपलीसिटी.

आप ये सिंपलीसिटी  Apple के प्रोडक्ट्स, इसके  ad  और इसके स्टोर में और इसके कस्टमर रिलेशनशिप में भी देख सकते है.  Apple में सिंपलीसिटी काम करने का एक तरीका है, एक गोल है जिसे मेजरिंग स्टिक की तरह इस्तेमाल किया जाता है.

अगर  Apple की सक्सेसफुल टेक्नीक ऑफ़ सिंपलीसिटी इसे इतना ख़ास बनाती है तो क्यों  नहीं  दूसरी टेक कंपनीज़ इसे कॉपी करती? तो जवाब है” सिंपलीसिटी को अपनाना इतना आसान नहीं है.

बाकि कंपनीज़ अक्सर कॉम्प्लेक्सीटी में कहीं खो जाती है. क्योंकि सच तो ये है कि सिंपलीसिटी के लिए आपको ज्यादा एनर्जी, ज्यादा टाइम और पैसा चाहिए.

इतने साल  Apple में काम करने के दौरान केन  सीगल  ने सिंपलीसिटी के कुछ कोर एलेमेंट्स observe  किये जो आप भी अपनी कंपनी में अप्लाई कर सकते हो.

सिंपलीसिटी एक स्किल है और इसकी  प्रैक्टिस  करनी पडती है. आप इसे सीख सकते है और इसमें एक्सपर्ट भी बन सकते है. चलिए तो सिंपलीसिटी के इन कोर एलिमेंट को एक-एक करके डिस्कस कर लेते है.

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Think Brutal

केन  फर्स्ट टाइम स्टीव जॉब्स से मिल रहे थे. केन ने उन्ही दिनों Los Angeles में  Apple की  ad  एजंसी से क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर रिजाइन दिया था. अब वो स्टीव की नई कंपनी  NeXT के नए क्रिएटिव डायरेक्टर के तौर पर न्यू यॉर्क में थे.

स्टीव जॉब्स कांफ्रेंस रूम में उनक वेट कर रहे थे. किसी को भी ये नहीं लगा था कि स्टीव केन को हायर करने से पहले उनका इंटरव्यू लेंगे और स्टीव खुद इस बात को लेकर ज्यादा खुश  नहीं  थे. और उधर केन बहुत नर्वस हो रहे थे.

केन की नई एजेंसी थी Ammirati & Puris, जो काफी फेमस हो गई थी और बीएमडब्ल्यू के लिए उसके काम की काफी तारीफ भी हो रही थी. खुद  रैल्फ़   Ammirati   ने केन को अपनी कंपनी में वेलकम किया था. और ये  रैल्फ़  ही था जिसने स्टीव के साथ एक माइनर इश्यू के बारे में उसे बताया था.

स्टीव ने खुद  Ammirati  & Puris को चूज़ किया था क्योंकि उसे बेस्ट  ad  एजेंसी चाहिए थी. असल में स्टीव को बीएमडब्ल्यू और UPS की लेटेस्ट  ad  काफी पसंद आई थी और उन्हें ये जानकर और ज्यादा ख़ुशी हुई कि ये दोनों एड्स एक ही कंपनी ने बनाए है.

केन  सीगल  मीटिंग रूम के बाहर लंबी-लंबी साँसे भर रहे थे. वो काफी नर्वस फील कर रहे थे. जब वो दरवाजा खोलकर अंदर गए तो देखा स्टीव जॉब्स  रैल्फ़   Ammirati   से बाते कर रहे थे.
रैल्फ़  ने स्टीव को केन का इंट्रोडक्शन दिया. दोनों ने हैण्डशेक किया.
स्टीव ने केन का मुस्कुराते हुए वेलकम किया.

स्टीव बोले “अच्छा तो, मैंने सुना है कि आपने  Apple के लिए एड्स बनाए है”
केन को थोड़ी राहत मिली, उन्होंने बड़े प्राउडली जवाब दिया” हाँ”
और वो प्राउड क्यों ना फील करते, आखिर उनके कुछ एड्स ने अवार्ड्स जो जीते थे.
“मुझे आपका टीवी में काम भी काफी पसंद आया” स्टीव ने आगे कहा.
केन का कॉन्फिडेंस थोडा और बढ़ गया था.

स्टीव केन की आँखों में सीधा देखते हुए बात कर रहे थे और उनकी मुस्कुराहट में एक गर्मजोशी थी. लेकिन तभी स्टीव ने कहा” लेकिन प्रिंट बहुत ही घटिया था”

केन उस पोजीशन में जहाँ  इंसान  को समझ  नहीं  आता कि इस बात का क्या जवाब दिया जाए. उन्हें अच्छा लगना चाहिए था या बुरा? लेकिन फिर उन्होंने हिम्मत जुटाकर स्टीव से सिर्फ इतना कहा” थैंक्स”

केन ने उस आदमी को थैंक यू बोला जिसने उसके काम को घटिया करार दिया था. लेकिन केन को ज्यादा बुरा  नहीं  लगा था. केन खुश थे कि आखिर उनके बीच की बर्फ तो पिघली.

उन्हें ये  नहीं  लगा कि स्टीव अच्छा या बुरा बर्ताव कर रहे है. और ना ही अप्रूव या डिसअप्रूव कर रहे है. स्टीव तो बस ऑनेस्टली अपनी बात केन के सामने रख रहे थे, जो उन्होंने फील किया, उन्होंने बोल दिया. और इस तरह आने वाले कई सालो तक उनका यही सिंपल रिलेशनशिप चलता रहा.

असल में स्टीव जॉब्स को अपने वर्किंग रिलेशनशिप में कोई कॉम्प्लेक्सिटी पसंद ही नहीं थी. ये ठीक उसी तरह था जैसे उन्हें अपने आईपोड में एक्स्ट्रा बटन  नहीं  पसंद थे.
स्ट्रेटफॉरवर्ड होना ही सिंपलीसिटी है और घुमा-फिरा के बोलना कॉम्प्लेक्सिटी.

केन समझ चुके थे कि स्टीव जॉब्स ऐसे ही है. जो बात उनके माइंड में आती थी, वो सीधा बोल देते थे फिर चाहे सामने वाले को बुरा लगे या भला लगे.

स्टीव के लिए सच सिर्फ सच था, और उनकी ओपनीयन, उनकी ओपिनियन थी जिसके कोई दो राय  नहीं  हो सकती थी, चाहे सामने कोई भी हो.

ब्रुटल फ्रैंक टॉक के अपने फायदे है. जैसे एक्जाम्पल के लिए आपको पता चले कि आपके सीईओ को आपके काम में कुछ कमी नज़र आई है जबकि रियल में आपका सीईओ सोचता है कि इन कमियों को दूर किया जा सकता है.

हो सकता है आपने सीईओ की कही बात किसी मिडल मैन के मुंह से सुनी. मैसेज देने वाले ने अपनी तरफ से बात जोड़ दी और इस तरह गलतीफहमी पैदा हो गई. आपको लगा सीईओ आपके काम को पसंद  नहीं  करता जबकि असलियत में वो सिर्फ कुछ सुधार चाहता है. आपको ऑनेस्ट फीडबैक  नहीं  मिला और इसलिए आप सही तरीके से अपना प्रोजेक्ट रीवाइज़  नहीं  कर पाए.

इस तरह के अनक्लियर मैसेज कंपनी को काफी नुकसान पहुंचाते है. अगर हम अपनी ई-मेल्स ब्रुटली ऑनेस्ट होकर लिखे तो हम अपना टाइम और एनर्जी दोनों बचा सकते है जो हम बेकार में एक्सप्लेनेशन देने में वेस्ट कर देते है.

स्टीव ने हमेशा हर किसी से यही चाहा कि वो उनसे स्ट्रेटफॉरवर्ड तरीके से बात करे. ये सिंपलीसिटी का एक एलिमेंट है जो आप भी अप्लाई कर सकते हो. आपको सिर्फ ऑनेस्ट रहना है और जो आपका माइंड कहे वही बोलना है. कुछ लोग शायद बुरा मानेंगे पर एक स्ट्रेटफॉरवर्ड अप्रोच सबका टाइम और एनर्जी बचा सकती है.

ब्रूटली ऑनेस्ट अप्रोच अडॉप्ट करके टीम को अपनी प्रोग्रेस पर फोकस करने में हेल्प मिलेगी और ये हर किसी को अपना बेस्ट देने के लिए पुश भी करेगी.

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