(Hindi) Mini Habits: Smaller Habits, Bigger Results

(Hindi) Mini Habits: Smaller Habits, Bigger Results

इंट्रोडक्शन

क्या आपका कोई बड़ा सपना या  गोल  है जिसे आप पूरा करना चाहते है, लेकिन उसके लिए आप कड़ी मेहनत नहीं कर पा रहे है? अगर हाँ, तो ऐसा करने वाले आप अकेले नहीं हैं, हम सब ऐसा ही करते है। हम हर बार बड़े -बड़े  plan  बनाकर शुरू करते है लेक़िन एक हफ्ते बाद ही सब भूल जाते है।

इस समरी मे आप सीखेंगे कि कैसे बिना ज्यादा मेहनत किये आप अच्छी आदते सीख सकते है। हम अक्सर अपने  गोल  की तरफ काम नहीं कर पाते  क्योंकि  हम खुद को फँसा  हुआ महसूस करते है जैसे हम जबरदस्ती किसी काम को कर रहे है इसलिए हमें हर बार कुछ करने के लिए मोटिवेशन की जरूरत पड़ती है।

ये समरी आपको सिखाएगी ये भी सिखाएगी कि अगर आप सिर्फ मोटिवेशन पर भरोसा करेंगे तो ये  आपकी  सबसे बड़ी दुश्मन बन सकती है. इसके साथ ही आप एक ऐसे सिस्टम के बारे में जानेंगे जो आपकी हर बार, ज़ब आप चाहे, आपके काम करने मे मदद करेगा ।

आप सीखोगे की कैसे मिनी हैबिट सिस्टम काम करता है और कैसे ये दूसरे सेल्फ हेल्प सिस्टम  से अलग है।
छोटी- छोटी आदतों को डालने और एक दम किसी आदत को बदलने के बीच का फर्क  जानने पर आप समझेगे की जो आप सालो से कर रहे है वो कितना गलत है।

अपनी आदतों को बदलने के इस नए और बेहतर वर्जन पर आप ज्यादा विश्वास कर सकते हो। मिनी हैबिट सिस्टम मे आठ  स्टेप और आठ रूल्स  है जिन्हे इस समरी मे समझाया गया है।

ये सिस्टम काम करने की गारंटी देता है और इस समरी को सुनने पर आपको विश्वास होगा की  ये प्रोडक्टीविटी, आजादी और खुशी की तरफ आपका पहला कदम है।

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Introduction to mini habits

तो, ये नया साल है। आप बैठकर decide करते हैं कि ये नया साल अलग होग़ा। आपके बड़े बड़े  गोल  है और आप उन्हें पूरा करने के लिए तैयार है। आप पहले से कही ज्यादा मेहनत करने के लिए तैयार है ताकि आप वो सब हासिल कर सको जो आप पहले नहीं कर पाए  थे।

फिर एक या दो हफ्ते बाद आपको आलस महसूस होता है और आप अपने  plan  को फॉलो करना बंद कर देते है। हम खुद को दोष देना शुरू कर देते है लेक़िन असल मे गलती हमारी नहीं हमारे  plan  की होती है।

क्योंकि हम अपने  plan  को कभी गलत नहीं मानते और उन्हें फ़ॉलो करते रहते है बिना ये सोचे की वे काम कर रहे है या  नहीं । अब टाइम है की आप ऐसा तरीका अपनाएँ  जो आपके  plan  को पूरा करने मे मदद करें और आप और तेजी से प्रोग्रेस कर सकें।

नए  plan  बनाकर हम नई आदतों को अपनाने की कोशिश करते हैं । नई आदते सीखने  मे चैलेंजिंग और डरावनी लगती है। मिनी हैबिट सिस्टम छोटे टास्क करने पर फोकस करता है जिन्हें पूरा करने के लिए हमें ज़्यादा मोटिवेशन की जरूरत नहीं पड़ती।

मिनी हैबिट स्ट्रेटेजी को फ़ॉलो करके आपको बिना ज्यादा मेहनत किये एक नया रूटीन बनाने मे मदद मिलेगी।

इस बुक के ऑथर Stephan Guise ने 2013 में नए साल के लिए फिट रहना अपनी पहली प्रायोरिटी बनाई थी। नए साल के  resolution  सेट करने मे उनकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी फिर भी वो इस साल ज्यादा मेहनत करना चाहते थे।

हाई स्कूल से ही stephen ने वर्कआउट करने की कोशिश की थी लेक़िन वो कभी कर नहीं पाए थे । वो हमेशा एक मुश्किल वर्कआउट  plan   चुनते थे जिसे वो सिर्फ 2 हफ्तो तक करते थे और उसके बाद किसी कारण या बिना किसी कारण वर्कआउट करना बंद कर देते थे ।

एक दिन ज़ब Stephen अपने परफेक्ट बॉडी पाने के सपने के बारे मे सोच रहे थे तो उन्होंने रोज 30 मिनट के लिए एक्सरसाइज करने का फैसला किया। ये सिर्फ 30 मिनट की बात थी फिर भी Stephen को बहुत मुश्किल काम लग रहा था।

थोड़ी देर के लिए Stephen वही खड़े रहे, उनसे हिला भी नहीं जा रहा था। उन्होंने  खुद से बात करने यानी self-talk और visualization जैसी technique से  खुद को मोटीवेट करने की कोशिश की लेक़िन कोई भी तरीका  उन्हें  वहाँ  से हिलने के लिए मोटीवेट नहीं कर पाया।

Stephen को 30 मिनट के वर्कआउट से डर नहीं लग रहा था बल्कि वह इस बात से डर रहे थे कि   उन्हें  अपने फिटनेस गोल तक  पहुँचने के लिए कितने घंटे एक्सरसाइज करनी पड़ेगी। उन्हें ये माउंट एवरस्ट चढ़ने जैसा मुश्किल काम लग रहा था इसलिए वह बहुत डर गये।

तब Stephen ने मन ही मन सोचा की अगर मैं  बस एक push-up के साथ शुरुआत करूँ तो क्या होग़ा। उनका ये आईडिया थोड़ा अजीब लग रहा था, लेक़िन इसने उनके जीवन को हमेशा के लिए बदल दिया।

Stephen धीरे-धीरे एक के बाद एक सिम्पल एक्सरसाइज जोड़ते रहे, इस बात पर उनका ध्यान ही नहीं गया कि उन्होंने 20 मिनट का वर्कआउट आसानी से पूरा कर लिया था और अब वो बहुत comfortable  महसूस कर रहे थे, जितना उन्होंने सोचा था उससे कहीं ज्यादा।

क्योंकि  stephen ने अपने टास्क को छोटे-छोटे टुकड़ो मे बाँट दिया था इसलिए उसे पूरा करने मे उन्हें डर नहीं लग रहा था।

मिनी हैबिट्स की यही ताकत है। ये कम डरावनी होती है, कम थकाने वाली होती है लेक़िन हमें इनसे जल्दी रिजल्ट मिलता है।   नई आदत सीखने  से डरने की बजाय, मिनी हैबिट्स आपको ज्यादा से ज्यादा सीखने और आगे बढ़ने के लिए मोटीवेट करती है.

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Motivation Vs. Willpower

क्या आपको याद है जब लास्ट टाइम  आपको कुछ इम्पोर्टेन्ट काम करना था लेक़िन आप नहीं कर पाए थे? आपने खुद को घंटों मोटीवेट करने की कोशिश की होगी लेक़िन फ़िर भी कुछ नहीं बदला था ।
इस चैप्टर मे आप एक नई चीज सीखोगे जो आपकी दुनिया बदल देगी । मोटिवेशन आपकी तरक्की के लिए बहुत बुरी चीज है  क्योंकि  ये आपके मूड और भावनाओं पर डिपेंडेंट  होता है, आप इस पर भरोसा  नहीं कर सकते। अगर आप किसी काम को करने के लिए सिर्फ मोटीवेट होने का इंतजार करते रहेंगे तो आप कुछ भी नहीं कर पाएंगे।

तो ऐसा कौन सा तरीका है जो आपकी मदद कर सकता है ? वो है  Willpower.. जी हाँ, विलपावर एक बहुत इफेक्टिव  तरीका है अपनी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाने का।

विलपावर का मतलब है आपका खुद पर कंट्रोल या सेल्फ डिसिप्लिन। यह आपकी वो एबिलिटी  है जो  आपको ऐसा काम करने के लिए तैयार करती है जो आप नहीं करना चाहते। इसलिए आप विलपावर पर विश्वास कर सकते हो। प्रैक्टिस के साथ इसे और मज़बूत किया जा सकता है  और उसके बाद आप कोई भी काम पूरा कर सकते हो।

Ray Baumeister जो एक साइकोलॉजिस्ट थे उन्होंने 1996 मे एक एक्सपेरिमेंट किया। वो कुछ  लोगों  को ऐसे कमरे मे लेकर गये जो चॉकलेट की  ख़ुशबू  से भरा हुआ था। उस कमरे की  ख़ुशबू  बहुत टेस्टी और लुभावनी थी।

लेक़िन उसमें एक ट्विस्ट भी था कि सभी  लोगों  को चॉक्लेट खाने के लिए नहीं दी गयी थी । कुछ  लोगों  को नाश्ते मे मूली दी गयी। सोचिए ये कितना बड़ा torture था कि हवा में चॉकलेट की सुगंध थी और खाने के लिए मूली।

जिन  लोगों  को मूली दी गयी थी उनमे से कुछ ने अजीब हरकते करनी शुरू कर दी। वो चॉकलेट कुकीज को ललचाई नज़रों से देख रहे थे। यहां तक की कुछ  लोगों  ने तो चॉकलेट को सूंघना भी शुरू कर दिया था ।

कुछ देर बाद सभी  लोगों  को एक पजल सॉल्व करने के लिए दिया गया। जिन  लोगों  को चॉकलेट मिली थी वो बहुत ज़्यादा खुश थे और उनकी विलपावर काफ़ी ज्यादा बढ़ गयी थी।

और दूसरी तरफ जिन  लोगों  ने मूली  खाई थी वो बिलकुल आलसी हो गये थे ।उनकी पज़ल solve  करने मे कोई दिलचस्पी नहीं थी और उन्होंने काफ़ी जल्दी हार मान लिया था । आप जानते है दूसरे ग्रुप के आलस का कारण क्या था? मूली। मूली खाने के बाद उन्हें काफ़ी बुरा लग रहा था जिससे उनकी विलपावर बिलकुल कम हो गयी थी और  उनमे पज़ल सॉल्व करने मे फोकस करने की कोई इच्छा नहीं थी ।

इस रिसर्च का ये रिजल्ट निकला की विलपावर का घटना या बढ़ना 5 फैक्टर्स पर डिपेंड करता है। जो काम आप करने वाले हो- अगर उसमे काफ़ी effort  की जरूरत है, या उसे खत्म करना काफ़ी मुश्किल है या आप पर उस काम का कोई नेगेटिव असर हुआ है तो आपकी विलपावर घट जाएगी और आप काम को शुरू करने से पहले ही खुद को थका हुआ महसूस करोगे।

दूसरी चीज जो आपकी विलपावर को इफ़ेक्ट करती  है वो है आपके ब्लड में ग्लूकोस का लेवल। कई बार आपको बस इतना करना होता है की खुद को तरोताज़ा करने के लिए आपको कुछ खा या पी लेना चाहिए और उसके बाद आप कोई  भी काम करने के लिए फ़्रेश हो जाते हैं।

जैसा की आपने इस चैप्टर से सीखा की अगर आप ज्यादा प्रोडक्टीव बनना चाहते हो और अपने काम को पूरा करना चाहते हो तो आपको सिर्फ अपनी विलपावर पर डिपेंडेंट होने की जरूरत है, ना की खुद को आगे बढ़ाने के लिए किसी मोटिवेशन की।

अगले चैप्टर मे आप सीखोगे की अपनी विलपावर और मिनी हैबिट सिस्टम का इस्तमाल कैसे करें ताकि ज़्यादा से ज्यादा काम हो  और आपकी आदते लम्बे टाइम तक बनी रहे।

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