(Hindi) Case Study of Netflix

(Hindi) Case Study of Netflix

इंट्रोडक्शन

क्या आपने कभी आपने सोचा हैं कि सबसे पॉपुलर ऑन-डिमांड वीडियो सर्विसों में से एक ‘ नेटफ़्लिक्स ’ की शुरुवात कहाँ से हुई? जी हां, आज के सबसे बड़ी स्ट्रीमिंग सर्विस प्रोवाइडर में से एक-  नेटफ़्लिक्स , जिसने अपनी शुरुवात डीवीडी रेंटल कंपनी से की थी. लेकिन देखिए, आज किसके पास  नेटफ़्लिक्स  का सब्सक्रिप्शन नहीं हैं?

नेटफ़्लिक्स के दुनिया भर में न सिर्फ 230 मिलियन से ज़्यादा सब्सक्राइबर्स हैं, बल्कि ये 30 अलग-अलग भाषाओं में भी अपना इंटरफ़ेस प्रोवाइड करता हैं.

आइये जानें  नेटफ़्लिक्स  के बारे में कि कैसे, कब और कहाँ इसकी शुरुवात हुई!

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

शुरूवात

नेटफ़्लिक्स  की शुरूवात 1997 में स्कॉट्स वैली, कैलिफ़ोर्निया में मार्क रैंडोल्फ़ और रीड  हेस्टिंग्स ने की. 1991 में,  हेस्टिंग्स ने प्योर एट्रिया नाम की एक कंपनी शुरू की थी. इस  कंपनी  ने Unix इंजीनियरों के लिए प्यूरिफाई नाम की एक debugging tool बनाई. मार्क रैंडोल्फ़ इस  कंपनी  में मार्केटिंग डायरेक्टर की हैसियत से काम करते थे. इसके अलावा, मार्क माइक्रोवेयरहाउस नाम की एक और कंपनी में भी को-फाउंडर थे. ये एक कंप्यूटर मेल-ऑर्डर कंपनी थी. माइक्रोवेयरहाउस के बाद, मार्क ने एक सॉफ्टवेयर बेचने वाली कंपनी- बोरलैंड इंटरनेशनल में भी वाईस- प्रेसिडेंट के पोजीशन पर काम किया.

प्योर एट्रिया  कंपनी  को 1997 में 700 मिलियन डॉलर में बेचा गया था. आखिर में, मार्क और  हेस्टिंग्स को  नेटफ़्लिक्स  शुरू करने का आईडिया आया. शुरुआत में, इस स्टार्टअप के लिए 2.5 मिलियन डॉलर का इन्वेस्टमेंट किया गया. मार्क इस बात से हैरान थे कि एमेज़न  कंपनी  अपनी बड़ी कैटलॉग और इतनी सारी सर्विसेस के साथ कैसे काम करती हैं. अपनी सर्विस को बेचने के लिए मार्क वैसा ही एक बिज़नस मॉडल बनाना चाहते थे. दोनों ने वीएचएस टेप के आईडिया को रिजेक्ट किया क्योंकि इन टेप्स को स्टॉक और शिप करने के लिए बहुत पैसे लगते थे. जब मार्केट में डीवीडी आई, तो मार्क और  हेस्टिंग्स ने हेस्टिंग के घर पर एक डीवीडी भेजकर टेस्ट किया. डिस्क ठीक-ठाक और बिना टूटे पहुँच गई थी. इसलिए उन्होंने डीवीडी और सीडी को बेचने और rent पर देने के आईडिया को आगे बढ़ाया.

अक्सर,  हेस्टिंग्स कहते थे कि उन्हें  नेटफ़्लिक्स  का आईडिया तब आया जब उन पर ‘अपोलो13’ फिल्म की DVD कॉपी को टाइम से वापस नहीं करने पर 40 डॉलर का फाइन लगाया गया.

नेटफ़्लिक्स  दुनिया का पहला ऑनलाइन डीवीडी रेंटल स्टोर बन गया. इसकी शुरुआत सिर्फ 30 एम्पलॉई और 925 फिल्मों और सीरीज़ के साथ हुई थी.

September 1999 में मंथली मेम्बरशिप कांसेप्ट की शुरूवात हुई.

जल्द ही 2000 तक  नेटफ़्लिक्स  के 300,000 से ज़्यादा सब्सक्राइबर बन गए.  नेटफ़्लिक्स  को ब्लॉकबस्टर एलएलसी ने 50 मिलियन डॉलर में एक ऑफर दिया. ब्लॉकबस्टर  नेटफ़्लिक्स  को खरीदना चाहती थी और इसका नाम बदलकर blockbuster.com रखना चाहती थी. ब्लॉकबस्टर खुद डीवीडी बिज़नस को संभालना चाहते थे जबकि  नेटफ़्लिक्स  को ऑनलाइन काम की ज़िम्मेदारी देना चाहते थे. लेकिन,  नेटफ़्लिक्स  ने इस ऑफर को ठुकरा दिया.

नेटफ़्लिक्स  जल्दी ही हिट हो गया लेकिन 11 सितंबर के हमलों और डॉट-कॉम बबल ने कंपनी पर काफी असर डाला था. इस वजह से कंपनी को काफी एम्पलॉईस को निकालना पड़ा था. लेकिन डीवीडी प्लेयर्स की सेल्स बढ़ने से सब्सक्रिप्शन बिजनस में फिर से उछाल आया. लोगों के लिए डीवीडी प्लेयर नंबर एक गिफ्ट बन गई थी, जिसे क्रिसमस और थैंक्सगिविंग में लोगों ने खूब खरीदा.

2002 तक, कंपनी के 5.5 मिलियन शेयर बिक चुके थे. एक और महीने बाद, और भी 825,000 शेयर बिके.
2005 तक,  नेटफ़्लिक्स  पर लगभग 35,000 अलग-अलग मूवीस अवेलेबल थे, और 1 मिलियन डीवीडी हर रोज़ शिप की जाती थीं.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

एंटरटेनमेंट की दुनिया में राज और तरक्की

2002 के आखिर तक आते-आते  नेटफ़्लिक्स  के एक मिलियन सब्सक्राइबर्स बन गए थे और 2006 तक 5.6 मिलियन. अगले चार सालों में, इसके 14 मिलियन सब्सक्राइबर्स बन गए. बेमिसाल सर्विस की वजह से  नेटफ़्लिक्स  नॉर्थ अमेरिका में भी फ़ैल गया. यहाँ इंटरनेट ट्रैफिक बढ़ने के पीछे की सबसे बड़ी वजह  नेटफ़्लिक्स  थी.

डीवीडी रेंटल और स्ट्रीमिंग सर्विसेस को 2012 में अलग किया जाना था. डीवीडी होम मीडिया रेंटल सर्विस को क्विकस्टर (Qwikster) नाम की एक सब्सिडियरी बनाकर, एंडी रेंडिच को सीईओ बनाने के बारे में सोचा गया. एंडी 12 साल से  नेटफ़्लिक्स  में काम करते थे. लेकिन  नेटफ़्लिक्स  ने इस आईडिया को बाद में छोड़ दिया. डीवीडी सर्विसेस  नेटफ़्लिक्स  के अंडर ही चलती रहीं और क्विकस्टर कभी नहीं बनी.

2011 तक,  नेटफ़्लिक्स  अकेले अमेरिका में 23 मिलियन और दुनिया भर में 26 मिलियन सब्सक्राइबर वाला बिज़नस बन गया था. इसके सब्सक्रिप्शन प्राइस में भी बदलाव किए गए. मेल रेंटल सर्विस और स्ट्रीमिंग सर्विस के लिए अलग चार्ज रखे गए. इसकी वजह से उन कस्टमर्स के लिए चार्ज ज़्यादा हो गए जो दोनों ही सर्विस यूज़ करना चाहते थे. नतीजा ये हुआ कि लगभग 800,000 सब्सक्राइबर ने  नेटफ़्लिक्स  की सब्सक्रिप्शन खत्म कर दी, लेकिन चार्ज अलग रखने की वजह से  नेटफ़्लिक्स  की इनकम काफी बड़ गई.

2012 में,  नेटफ़्लिक्स  ने FLIXPAC नाम के एक  पॉलिटिकल  कमिटी बनाने के लिए Federal Election Commission के सामने अर्ज़ी दी. इस फैसले के बाद एक हैंकर ग्रुप 'Anonymous' ने  नेटफ़्लिक्स  का बॉयकॉट किया.
नेटफ़्लिक्स  ने February 2013 में अपना अवार्ड सेरेमनी शुरू करने का फैसला किया. इसे ‘The Flixies’ का नाम दिया गया.

2000 तक आते-आते,  नेटफ़्लिक्स  फिल्मों को ऑनलाइन दिखाना शुरू करना चाहता था. लेकिन उस दिनों, bandwidth बहुत ही महंगा पड़ता था और डेटा स्पीड बहुत भी बहुत महंगी थी. इसलिए  नेटफ़्लिक्स  ने एक ” नेटफ़्लिक्स  बॉक्स” बनाने का फैसला किया, जिससे सब्सक्राइबर्स रात भर फिल्में डाउनलोड कर सकते थे और अगले दिन उसे देख सकते थे. इसके लिए मूवी के राइट्स खरीदे गए और  नेटफ़्लिक्स बॉक्स  2005 तक तैयार हो गया. लेकिन फिर YouTube जैसी स्ट्रीमिंग सर्विस उन दिनों बहुत पॉपुलर हो रहे थे इसलिए इन्होंने अपना बॉक्स लॉन्च करने फैसला बदल दिया.  नेटफ़्लिक्स  ने देखा कि कम वीडियो क्वालिटी होने के बावजूद  लोग स्ट्रीमिंग सर्विस को पसंद कर रहे थे. इसलिए  नेटफ़्लिक्स  ने भी स्ट्रीमिंग सर्विस देने का फैसला किया. इनका स्ट्रीमिंग सर्विस का प्रोजेक्ट 2007 में पूरा हो गया था.

अब, डीवीडी की जगह वीडियो-ऑन-डिमांड सर्विस दी जाने लगी. इंटरनेट दुनिया भर में बहुत ज़्यादा पॉपुलर हो रहा था और लोग अब डीवीडी नहीं खरीदते थे. डीवीडी प्लेयर अब बेकार डब्बा बनकर रह गया था.
2009 तक,  नेटफ़्लिक्स  ने अपने प्लेटफॉर्म पर लगभग 12,000 फिल्में और शो दिखाना शुरू किया. ‘सिनेमैच’ सिस्टम भी इनस्टॉल किया गया, जो कस्टमर्स को उनकी पिछली देखी गई फिल्मों के हिसाब से कुछ कम रेटिंग वाली दूसरी फिल्में देखने का suggestion देता था. इससे  नेटफ़्लिक्स  और कम ऑडियंस वाले स्टूडियो, दोनों को फायदा हुआ था.  नेटफ़्लिक्स  ने सिनेमैच से बेहतर एल्गोरिदम बनाने वाले डेवलपर को दस लाख डॉलर का ऑफर दिया.

सर्विस

नेटफ्लिक्स की स्ट्रीमिंग सर्विस कस्टमर को अपनी वेबसाइट या अलग-अलग प्लेटफार्म पर supported app के ज़रिए फिल्में और शो देखने देती हैं. इनमें कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट, वीडियो गेम कंसोल और स्मार्ट टीवी शामिल हैं.

2010 में,  नेटफ़्लिक्स  ने कुछ फिल्म कंपनियों जैसे पैरामाउंट, लायंसगेट और मेट्रो-गोल्डविन-मेयर के साथ उनकी फिल्में दिखाने के लिए पांच साल की डील की.
फिर, उन्होंने तीन plan  शुरू किए. सबसे सस्ता  plan  था सिंगल डिवाइस में स्टैंडर्ड डेफिनिशन और 480p क्वालिटी.  दूसरा  plan  था दो डिवाइस पर हाई डेफिनिशन स्ट्रीमिंग. प्लेटिनम टियर में, 4K क्वालिटी तक के 4 डिवाइस में एक साथ स्ट्रीमिंग किया जा सकता था.

2016 में, एक  नेटफ़्लिक्स  कस्टमर ने बढ़ते प्राइस के लिए  नेटफ़्लिक्स  कंपनी पर केस कर दिया था. उस कस्टमर का आरोप था कि एक  नेटफ़्लिक्स  कस्टमर सपोर्ट एम्प्लॉई ने उसे कहा कि जब तक वो अपने सब्सक्रिप्शन को कंटिन्यू  रखेगा, तब तक उसका रेट नहीं बढ़ेगा.
नेटफ़्लिक्स  प्लेटफॉर्म पर कस्टमर अपना प्रोफाइल बना सकते हैं. इससे एक सिंगल अकाउंट से कई यूज़र्स इसके स्ट्रीमिंग को देख सकते हैं. ये सारे यूज़र्स अपने-अपने रेटिंग, पसंद-नापसंद और बुकमार्क के हिसाब से प्रोग्राम देख सकते हैं.  नेटफ़्लिक्स  ने इस प्रोफाइल फीचर को हटाने का फैसला किया था, लेकिन फिर कस्टमर्स के नेगेटिव रिव्यु  की वजह से अपना फैसला वापस बदल दिया.

2016 में, एक ऑफ़लाइन प्लेबैक सर्विस शुरू की गई. इससे एंड्रॉइड और iOS यूज़र्स अपने डिवाइस पर  नेटफ़्लिक्स  के प्रोग्राम को स्टोर कर, बाद में इंटरनेट कनेक्शन के बिना इसे देख सकते थे. शुरू-शुरू में, यह फैसिलिटी सिर्फ कुछ ही मूवीज़ और सीरीज़ के लिए दी गई थी.
फिर आया,  नेटफ़्लिक्स  पार्टी सर्विस. इससे कई लोग आपस में ऑनलाइन जुड़कर एक साथ प्रोग्राम देख सकते हैं और चैट कर सकते हैं.
अपनी सर्विसेस देने के लिए  नेटफ़्लिक्स  ने एयरलाइंस के साथ पार्टनरशिप  plan  भी बनाया.

2018 में, इसने “स्किप इंट्रो” फीचर लॉन्च किया. इससे शो के शुरू के इंट्रोडक्शन को हटाया जा सकता हैं. इस फीचर को देने के लिए machine learning, manual reviewing, audio tagging जैसे कई सारे टेक्निक का यूज़ किया जाता हैं.
नेटफ़्लिक्स  के कई सब्सिडियरी कम्पनियाँ हैं. इनमें DVD.com, Millarworld, Netflix Global, Netflix Studios  शामिल हैं. मिलरवर्ल्ड  नेटफ़्लिक्स  के अंडर काम करने वाली एक कॉमिक बुक कंपनी हैं.

TO READ OR LISTEN COMPLETE BOOK CLICK HERE

SHARE
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments