(Hindi) Learning How to Fly: Life Lessons For The Youth

(Hindi) Learning How to Fly: Life Lessons For The Youth

इंट्रोडक्शन (Introduction)

क्या आप उड़ना चाहते हो? क्या आप हमेशा के लिए रहना चाहते हो? क्या आप इस दुनिया के ग्रेट लीडर्स और महान साइंटिस्ट की सक्सेस का सीक्रेट जानना चाहते हो? सक्सेस का एक ही सीक्रेट है और वो है हमारे मजबूत इरादे और दिल की सच्चाई. अगर आप आसमान में ऊँची उड़ान भरना चाहते हो, अगर आप अपने काम से इस दुनिया में अपना नाम रोशन करना चाहते हो. तो ये बुक आपके लिए ही लिखी गयी है जो आपको सक्सेस मंत्र दे सकती है.

इस बुक में आप यूथ पॉवर के बारे में जानेंगे. देश के युवा को अगर सही डायरेक्शन और एक राईट माइंडसेट मिल जाए तो वो क्या कुछ अचीव नहीं कर सकता. यूथ अपनी पॉवर और नॉलेज से इस दुनिया को एक बैटर वर्ल्ड में बदल सकते है. और हमारी इस सोसाइटी को एक ऐसी जगह बना सकते है जहाँ सब प्यार और शान्ति से रहे. इस बुक से आप ये भी सीखेंगे कि सोसाईटी में एक टीचर के रोल्स और रिस्पोंसेबिलिटीज क्या होते है. कैसे एक टीचर अपने स्टूडेंट्स को इंस्पायर करके उन्हें गाइड करके उनके अंदर कांफिडेंस ला सकता है.

इस जर्नी में आपको ये भी पता चलेगा कि किताबे हमारी सबसे अच्छी दोस्त होती है. किताबे कभी ओल्ड नहीं होती, उनकी इम्पोर्टेंस जितनी पहले थी उतनी ही आज के टाइम में भी है. बुक्स का फॉर्म बदल सकता है, पर्पज नहीं. सदियों से किताबे इन्सान को ज्ञान और अनभुव देती रही है और आज भी दे रही है.

इस बुक समरी से आप सीखेंगे कि किसी भी नेशन को बनाने में एम्पैथी और सही डायरेक्शन की कितनी अहमियत है. और वो कौन सी इम्पोर्टेंट क्वालिटीज है जो एक ग्रेट लीडर में होनी चाहिए. एक ग्रेट लीडर बनने के लिए आपको क्या-क्या करना पड़ेगा, ये आप इस बुक में पढ़ेंगे. तो क्या आप एक ग्रेट साइंटिस्ट, एक पॉवरफुल लीडर और एक सक्सेसफुल डॉक्टर या इंजीनियर बनने के लिए रेडी है? ये बुक आपको अपने गोल्स अचीव करना सिखाएगी और आपको ऐसे एक्ज़म्प्ल्स और टिप्स देगी जो आपको एक अच्छा इन्सान बनने में हेल्प करेगी.

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आई विल फ्लाई ( मै उड़ना चाहता हूँ और मै जरूर उड़ान भरूँगा )I Will Fly

खुद पे बिलीव करो, और फिर दुनिया भी तुम पर बिलीव करेगी. अगर आपको अपने ड्रीम्स पे यकीन है तो कोई आपको नहीं रोक सकता. आप भी साइंटिस्ट, डॉक्टर्स, इंजीनियर्स, लीडर्स और एंटप्रेन्योर्स की तरह आसमान में ऊँची उड़ान भर सकते हो. लेकिन ये आप ये करोगे कैसे? तो इसका आंसर है एजुकेशन. एजुकेशन में वो पॉवर है जो आपको आसमान में उड़ने के लिए पंख देती है. और ये पंख आपको नॉलेज देते है.

नॉलेज हमारे लिए पोसिबिलीटीज़ के दरवाजे खोल देती है, आपको दुनिया के सामने खुद को प्रूव करने का चांस देती है. ऐसे कई लोग है जो अपनी आउटस्टेडिंग यानि लीक से हटकर कुछ इन्वेंट करने के लिए फेमस है. डॉक्टर सी. वी. रमण जब एक बार समुंद्री यात्रा कर रहे थे तो उन्होंने फेनोमेंनन ऑफ़ लाईट स्केट्रिंग यानी प्रकाश का प्रक्रीरण की खोज की.

डॉक्टर रमण उस वक्त यूं.के. से इण्डिया आ रहे थे. वो आसमान का ब्ल्यू कलर देखकर सोच रहे थे कि समुन्द्र के ऊपर आसमान हमेंशा नीला क्यों लगता है. वो इस बारे में सोच कर हैरान थे और इसके पीछे की वजह जानना चाहते थे. इस बारे में और ज्यादा रीसर्च करने पर उन्होंने फेनोमेंनन ऑफ़ लाईट स्केट्रिंग की डिस्कवरी की थी जिसके लिए उन्हें नोबेल प्राइज मिला.

थॉमस एडिसन ने इलेक्ट्रिक बल्ब का इन्वेंट किया, राईट ब्रदर्स ने एयरप्लेन का और अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने टेलीफोन का. इन सब लोगो ने नयी चीज़े डिस्कवर करने के लिए काफी मेहनत की. कई बार फेल भी हुए मगर इन्होने हार नही मानी. और एंड में उनकी इस मेहनत को दुनिया ने समझा और पहचाना. इस तरह इन लोगो ने अपना नाम इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर दिया. आप चाहो तो आप भी इनकी तरह बन सकते हो और कुछ बड़ा कर सकते हो.

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द लाइफ लॉन्ग क्वेस्ट फॉर नॉलेज (नॉलेज हासिल करने की प्यास ) The Life-Long Quest for Knowledge

एक टीचर नॉलेज के साथ अपने स्टूडेंट्स को प्रेक्टिकल लेसंस भी देता है. इन प्रेक्टिकल लेसंस की वजह से स्टूडेंट्स कांसेप्ट को और भी बेहतर ढंग से समझ पाते है. एक अच्छा टीचर वही है जो सब्जेक्ट को इंट्रेस्टिंग और आसान ढंग से समझाए. ऐसा टीचर अपने स्टूडेंट्स के लिए किसी इंस्पिरेशन से कम नहीं होता.

डॉक्टर कलाम जब फिफ्थ ग्रेड में थे तो उनके टीचर थे श्री शिवसुब्रमणीयम ईय्यर (Shri SivasubramaniaIyer). श्री ईय्यर एक ग्रेट टीचर थे जिनको स्टूडेंट्स बहुत रिस्पेक्ट और प्यार देते थे. एक दिन वो क्लास में पढ़ा रहे थे कि बर्ड्स कैसे उडती है. वो ब्लैकबोर्ड पर बर्ड का डायाग्राम बनाकर एक्सप्लेन कर रहे थे कि चिड़िया कैसे उडती है और कैसे डायरेक्शन चेंज करती है.

करीब 20-25 मिनट समझाने के बाद श्री ईय्यर ने क्लास से पुछा कि उन्हें कांसेप्ट समझ आया या नहीं. अब्दुल कलाम बोले” सर, मुझे समझ नहीं आया, पूरी क्लास ने भी कलाम की हाँ में हाँ मिलाई. श्री ईय्यर बिलकुल भी गुस्सा नहीं हुए. बल्कि वो बच्चो को समुंद्र के किनारे ले गए. उन्होंने बच्चो से कहा” अब इन बर्ड्स को ध्यान से देखो कि ये कैसे उडती है”. उन्होंने बताया कि बर्ड्स उड़ने के लिए अपने विंग्स फ्लैप करती है और अपनी पूँछ मोड़ कर डायरेक्शन चेंज करती है. श्री ईय्यर बच्चो को 15 मिनट तक बर्ड्स के उड़ने का तरीका समझाते रहे और फाइनली सब बच्चो को कांसेप्ट समझ आ गया था.

श्री ईय्यर एक महान टीचर थे. वो अपने लेसंस प्रेक्टिकल एक्जाम्पल के साथ एक्सप्लेन थे ताकि बच्चे ईजिली समझ जाए. उनके इसी तरीके ने डॉक्टर कलाम की लाइफ चेंज कर दी जब उन्होंने बीच पर टीचर के साथ बर्ड्स को उड़ते हुए देखा और कांसेप्ट समझा. यही से उन्हें अपने करियर की इंस्पिरेशन मिली. तो देखा आपने, कैसे एक अच्छा टीचर स्टूडेंट्स का फ्यूचर संवार सकता है.

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मैनेजिंग द जर्नी ऑफ़ लाइफ (लाइफ की जर्नी मैनेज करना) Managing the Journey of Life

लाइफ ऑफ़ जर्नी मैनेज करने के लिए आपको चार इम्पोर्टेंट चीज़े समझनी होगी. पहला, आपके पास कोई गोल होना चाहिए. दूसरा, आपके पास नॉलेज हो, तीसरा, आपको हार्ड वर्क करना होगा और चौथा आपको सीखना होगा कि सक्सेस और फेलर दोनों को कैसे हैंडल करे. सक्सेस और फेलर लाइफ का पार्ट है. आपको फेलर्स एक्सेप्ट करने ही होंगे और तब तक हार्ड वर्क करो जब तक सफलता ना मिले. एक अच्छे लीडर में फेलर मैनेज करने की क्वालिटी भी होंनी चाहिए. जैसे कि हम इस स्टोरी में देखेंगे.

डॉक्टर कलाम एसएलवी-3 राकेट (SLV-3 rocket) के एक्स्पेरिमेंटल लांच के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे. 10 अगस्त, 1979 को पहला लांच हुआ. फर्स्ट स्टेज सक्सेसफुल रहा मगर सेकंड स्टेज में व्हीकल सीधा ऊपर जाने के बजाये बंगाल की खाड़ी में जा गिरा. प्रोफेसर सतीश धवन ने प्रेस कांफ्रेंस के लिए डॉक्टर कलाम को बुलाया. प्रोफेसर धवन मिडीया वालो के सवाल बड़े आराम से हैंडल कर रहे थे जबकि डॉक्टर कलाम बाकि सीनियर साइंटिस्ट के साथ चुपचाप बैठे रहे. 18 जुलाई, 1980 को श्रीहरीकोटा में एसएलवी-3 का सेकंड एक्सपेरीमेंटल लांच हुआ. व्हीकल ने पूरी शान से उड़ान भरी और ये मिशन स्कसेसफुल रहा.

जो लोग ये लांच देखने आये थे, उन्होंने जोर-शोर से तालियाँ बजाई. इस बार भी प्रोफेसर धवन ने प्रेस कांफेरेंस अटेंड करने के लिए डॉक्टर कलाम को बुलाया. लेकिन इस बार कुछ डिफरेंट हुआ. प्रोफेसर सतीश धवन ने डॉक्टर कलाम को कहा कि वो अपने टीम मेंबर्स के साथ ये प्रेस मीटिंग हैंडल करे.
ये स्टोरी हमे दो इम्पोर्टेंट लेंसस देती है. फर्स्ट लेसन तो ये कि हमे कभी भी हार नहीं माननी है.

फेल होने के बाद भी अपनी पूरी हिम्मत से एक बार फिर खड़े होना है और लड़ना है. सेकंड लेसन है फेलर मैनेजमेंट के बारे में. जब मिशन फेल हुआ तो प्रोफेसर धवन ने क्रिटीज्म खुद हैंडल किया लेकिन जब मिशन सक्सेसफुल हुआ तो उन्होंने अपनी टीम को इसका क्रेडिट देकर एन्जॉय करने दिया. कहने का मतलब है कि एक अच्छा लीडर वही है जो अपनी टीम को मुश्किल वक्त में प्रोटेक्ट करे.

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