(Hindi) Corporate Chanakya On Management.

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इंट्रोडक्शन(Introduction)


चाणक्य का नाम सुनते ही हमारे मन में बुद्धिमान, चतुर, जीनियसऔर कमाल के strategist जैसे शब्द आने लगते हैं.उनके प्रिंसिपल्स और स्ट्रेटेजीज चाणक्य नीतिके नाम से चर्चित हैं.उन्हें विष्णु गुप्त या कौटिल्य भी कहा जाता है.लेकिन चाणक्य सिर्फ़ पॉलिटिक्स और इकोनॉमिक्स के महारथी ही नहीं थे बल्कि उन्होंने प्रोडक्टिविटी और मैनेजमेंट के लिए भी कई प्रैक्टिकल एडवाइस दिए हैं. इस बुक के द्वारा आप सीखेंगे कि आप कैसे एक हाई परफोर्मिंग एम्प्लोई बन सकते हैं. आप एक अच्छा बॉस बनना सीखेंगे जो अपनी टीम को encourage और मोटीवेट करता है, साथ ही उन्हें अपना पूरा सहयोग भी देता है.

आपको ये सब जो सिखाने वाले हैं वो भी किसी महारथी से कम नहीं हैं. राधा कृष्णन पिल्लई को एक मैनेजमेंट कंसलटेंट के रूप में काम करने का सालों का एक्सपीरियंस है. उन्होंने प्राचीन समय के सबसे बुद्धिमान गुरु और जीनियस के अनमोल ज्ञान को आज के मॉडर्न ज़माने के हिसाब से इन्टरप्रेट किया है. उन्होंने इसे बदलते हुए समय के साथ आज के युग में कैसे अप्लाई करना है वो समझाया है.

वो बखूबी जानते हैं कि ये बहुत असरदार है और 100% काम करता है क्योंकि उन्होंने इसे ख़ुद आज़माया है.
अगर आप जॉब में प्रमोशन पाना चाहते है या अपना ड्रीम जॉब पाना चाहते हैं, ज़्यादा productive बनना चाहते हैं तो ये बुक आपके लिए है.

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द फर्स्ट स्टेप (The First Step)

हम सब के मन में अक्सर एक ड्रीम जॉब होता है जिसे हम करना चाहते हैं और इसे पाने के लिए हम हर दिन उस मौके का इंतज़ार करते रहते हैं.लेकिन चाणक्य का कहना है कि आपको इसका इंतज़ार नहीं करना चाहिए. बल्कि खुद एक्टिव होकर उस मौके को क्रिएट करना चाहिए.

आपको थोड़ा एक्स्ट्रा एफर्ट करना होगा, आपको एक्शन लेना होगा. आपको किस्मत के भरोसे नहीं बैठना चाहिए क्योंकि अगर आप इसके बारे में सिर्फ़ इमेजिन करते रहेंगे तो अपना ड्रीम जॉब कभी हासिल नहीं कर पाएँगे.

हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ नहीं होगा इसलिए अपने आपको उस जॉब के लिए तैयार करें, प्रॉपर ट्रेनिंग लें, जो स्किल्स उसके लिए चाहिए उसे सीखें. सही लोगों की गाइडेंस और मदद लें. और सबसे ज़रूरी बात, ख़ुद पर विश्वास रखें. अगर एक बार फेल हुए तो निराश ना हों, हार ना मानें. बिना रुके बस लगातार कोशिश करते रहे. साबित करें कि आपमें उसे पाने का कितना जुनून है और आप उसे पाने के कितने लायक हैं.

एक कहावत है “अगर मौके आपके दरवाज़े पर दस्तक ना दे तो आपको मौकों के दरवाज़े पर दस्तक देना होगा”. आइए इसके लिए कुछ टिप्स जानते हैं.
पहला, अपनी ताकत को अच्छे से जानें. बाहर कम्पीट करने से पहले ज़रा रुक कर ध्यान से सोचें. वो कौन सी क्वालिटी है जो आपमें है, वो क्या चीज़ है जिसे आप सबसे अच्छे तरीके से कर सकते हैं? अपने resume या बिज़नेस प्रपोजल में अपनी ख़ासियत को आप हाईलाइट भी कर सकते हैं.

दूसरा, अपनी मार्केटिंग करें. क्या कोई ऐसी कंपनी या इंसान है जिसके लिए आप काम करना चाहते हैं? अगर हाँ तो ख़ुद अपनी मार्केटिंग करें. आप उन्हें अपना resume ईमेल कर सकते हैं. अपने आप को introduce करें, आपके intention के बारे में बताएँ. आप अपॉइंटमेंट के लिए भी पूछ सकते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि आप समय पर पहुंचें और एक अच्छा इम्प्रैशन बनाएं.

जब आपको फाइनली अपना ड्रीम जॉब मिल जाए तो याद रखें कि ये तो बस शुरुआत है. अब आपको ख़ुद को साबित करना होगा. अपने काम से प्यार करें और हाई परफॉरमेंस का aim रखें. अगर आप ऐसा करने में सफ़ल हो गए तो इसका आपके लाइफ के हर पहलू में पॉजिटिव असर होगा.

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टेकिंग केयर ऑफ़ एम्प्लोयीज़(Taking Care of Employees)


ये टॉपिक हर मैनेजर और बिज़नेस ओनर के लिए है. अगर आप एक एम्प्लोई हैं तो भी इसे ध्यान से सुनें, क्या पता कल आप भी बॉस बन सकते हैं. टैलेंटेड, हार्ड वर्किंग और  भरोसेमंद लोगों का मिलना बहुत मुश्किल होता है.

जो भी ह्यूमन रिसोर्स में काम करते हैं वो ये बात अच्छी तरह से समझते हैं. हाई सैलरी और प्रेस्टीज लोगों को टिकाए रखने के लिए काफ़ी नहीं है. एक बॉस को अपने सारे एम्प्लोईज़ की सच में परवाह होनी चाहिए.हर आर्गेनाईजेशन में वो ह्यूमन टच होना चाहिए जहां काम करने वालों को लगे कि उन्हें सिर्फ़ स्टाफ़ या मशीन नहीं समझा जाता बल्कि कंपनी का एक एहम हिस्सा माना जाता है. आइए समझते हैं कि इसे किस तरह किया जा सकता है.

पहला,अगर आप बॉस हैं तो अपने केबिन तक सिमट कर ना रहे, बाहर निकलें. आपकी बाउंड्री आपके केबिन या कांफ्रेंस रूम तक सीमित नहीं होनी चाहिए. ऐसे बॉस ना बनें जो अपने एम्प्लोईज़ से दूरी बनाए रखते हैं और उन्हें सिर्फ़ ईमेल द्वारा आर्डर देते हैं. अपने एम्प्लोईज़ को महसूस कराएँ कि वो आप तक आसानी से पहुँच सकते हैं या आपके बात कर सकते हैं.

बीच-बीच में उनके डेस्क पर जाएं. उनसे बात करें. एम्प्लोईज़ को आपको जानने का मौका दें, आप भी उन्हें समझने की कोशिश करें. यह आपकी टीम में सहयोग और एकता को बढ़ावा देगा.

दूसरा, अपने हर एक एम्प्लोई को समय दें. एक्जाम्पल के लिए, अगर किसी एम्प्लोई से गलती हो जाती है तो उसके पास जाएं और कुछ देर उससे बात करें.उसे एक्सप्लेन करें कि आखिर उससे कहाँ गलती हुई है. लेकिन इसे गुस्से से ना करें और ना ही उनकी इंसल्ट करें बल्कि इसे शांति से उसे पूरा रिस्पेक्ट देते हुए करें.

जब कोई गलती करता है या डरा हुआ होता है तो हम अक्सर उसके कंधे पर धीरे से हाथ रखते हैं ताकि उसे बेहतर महसूस हो सके. आप भी ऐसा कर सकते हैं जिससे एम्प्लोई को ये लगेगा कि आप समझते हैं कि गलती होना नेचुरल है और आप उसे सिर्फ़ उसकी गलती बता रहे हैं ना कि उसकी इंसल्ट कर रहे हैं. उसे समझाने के बाद उसकी थोड़ी तारीफ़ भी कर दें, इससे उसे अच्छा लगेगा और उसका कांफिडेंस बना रहेगा.

ऐसा करने से वो एम्प्लोई इस एक्सपीरियंस को याद रखेगा क्योंकि इसमें ह्यूमन टच शामिल था. वह आपके प्रति कोई बुरी भावना ना रखते हुए अपनी गलती के बारे में भी सीखेगा.

तीसरा, एम्प्लोईज़ के साथ पिकनिक का प्लान बनाएं. कभी-कभार ऑफिस के स्ट्रेस और बोरिंग काम से ब्रेक लेना भी अच्छा महसूस कराता है. अपने एम्प्लोईज़ के साथ रिलैक्स करने और एन्जॉय करने का समय निकालें. ये एक टीम डिनर या शहर के पास किसी जगह में कुछ दिनों का ट्रिप भी हो सकता है. ये कोई सेलिब्रेशन या पार्टी भी हो सकता है. ये थकान और स्ट्रेस को मिटाने का काम करता है. ये पूरी ऑफिस में ऐसा माहौल सेट करता है कि आप एक दूसरे पर भरोसा कर सकते हैं.

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स्टॉपिंग अट्रीशन (Stopping Attrition)

अब आता है अट्रीशन को रोकना. तो क्या होता है ये अट्रीशन? अट्रीशन का मतलब होता है  resignation के कारण एम्प्लोईज़ को खो देना. किसी भी HR डिपार्टमेंट के लिए ये सबसे बड़ा चैलेंज होता है. एम्प्लोईज़ को कंपनी में टिकाए रखना कोई आसान काम नहीं. उनकी लॉयल्टी को बढ़ावा देने के लिए प्रमोशन या सैलरी का बढ़ा देना अक्सर काफ़ी नहीं होता. resignation की रेट कम रखने के लिए HR को कई स्ट्रेटेजी और प्लानिंग करनी पड़ती है.

चाणक्य के अनुसार दो तरह के एम्प्लोईज़ होते हैं. एक जो संतुष्ट हैं और दूसरे वो जो ख़ुश नहीं हैं .उन्होंने, इन दोनों को कैसा संभालना है उसकी सलाह भी दी है.

Managers को उन एम्प्लोईज़ को अनदेखा करने की गलती नहीं करनी चाहिए जो ख़ुश और संतुष्ट लगते हों. अक्सर ऐसे एम्प्लोईज़ होते हैं जो प्रमोशन या सैलरी बढ़ाने की ख़ुद माँग नहीं करते. हाँ, वो इसे ख़ुद एक्सप्रेस नहीं करते लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि वो सच में satisfied हैं. हर एम्प्लोई काम के बदले में कुछ पाने की इच्छा से काम करता है.

अगर किसी दूसरी कंपनी ने इन्हें एक बेटर ऑफर दी तो यकीनन आप उन्हें खो देंगे. इसलिए आपको एक satisfied एम्प्लोई को ज़्यादा पहचान, फ़ायदा, सैलरी देना चाहिए भले ही वो ख़ुद इसके लिए ना कहें.

ऐसा करने से आप देखेंगे कि वो अपने जॉब के लिए और ज़्यादा मोटीवेट होंगे और आपकी कंपनी के प्रति ज़्यादा लॉयल होंगे क्योंकि आपने उन्हें दिखा दिया है कि आप उनकी कदर करते हैं, उन्हें इम्पोर्टेंस देते हैं.इससे वो आपके पीठ पीछे बात करने या रिजाइन करने के बारे में नहीं सोचेंगे.

और वो एम्प्लोईज़ जो संतुष्ट नहीं हैं, वो जो माँग रहे हैं उसे देने की पूरी कोशिश करें. उन्हें गिफ्ट्स या किसी तरह का बेनिफिट देकर कंपनी में बनाए रखने की कोशिश करें. अट्रीशन से बचने के लिए आइए कुछ इम्पोर्टेन्ट टिप्स के बारे में जानते हैं.

पहला, ह्यूमन रिसोर्स यानी जो लोग आपके लिए काम करते हैं उन्हें सबसे ज़्यादा इम्पोर्टेंस दें. ज़्यादातर कम्पनीज मार्केटिंग, फाइनेंस, सेल्स इस पर अपना ध्यान फोकस करती है. वो ह्यूमन रिसोर्स डिपार्टमेंट (HRD) की अहमियत नहीं समझते. लेकिन आप ये गलती ना दोहराएँ.

HRD का काम सिर्फ़ लोगों को हायर करना, उन्हें ट्रेन करना और रिकॉर्ड बनाए रखना ही नहीं होता. अपने लोगों का ध्यान रखना, उनकी ज़रूरतों को समझना एक कंपनी के लिए सबसे बेस्ट इन्वेस्टमेंट होता है.अगर आपके लोग अच्छे परफ़ॉर्मर हुए तो आपकी कंपनी दूसरों के मुकाबले ज़्यादा तरक्की करेगी.

दूसरा, कंपनी के ओनर को एक खडूस बॉस की जगह एक मेंटर या गुरु की तरह होना चाहिए. एक सीईओ को सिर्फ़ गलती निकालने वाला नहीं बल्कि एक दोस्त, एक टीचर और एक गाइड होना चाहिए. बिज़नेस चलाना उसकी एकमात्र ज़िम्मेदारी नहीं है. उसे अपने एम्प्लोईज़ के लिए एक inspiration बनना चाहिए. अगर एक सीईओ अच्छा एक्जाम्पल सेट करता है तो वो अपने एप्लोईज़ को अपनी तरह ज़िम्मेदार और हार्ड वर्किंग बनने के लिए encourage करता है.

तीसरा, आपके आर्गेनाईजेशन का अपना एक यूनिक कल्चर होना चाहिए. इससे एम्प्लोईज़ को अपने पन का एहसास होता है. ऐसा करने से उन्हें लगेगा कि वो सभी के साथ एक कॉमन गोल शेयर करते हैं. ये उन्हें आपकी कंपनी के प्रति लॉयल और उसका हिस्सा होने के लिए प्राउड महसूस कराएगा.

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