(Hindi) Galileo Galilei

(Hindi) Galileo Galilei

Chapter 01

•    ये बुक हमे बताती है कि इटेलियन रेनेसिस में लाइफ कैसी थी.
•    कैसे स्टूडेंट मास्टर बना ?
•    चर्च का अपोजिशन
•    कंट्रोवर्शियल थ्य्रोरीज़
•    गैलीलियो गैली का ट्रायल

और इसके अलावा बहुत कुछ इस बुक में है जिससे आपको पता चलेगा कि उस टाइम के साइंटिस्ट और प्रोग्रेसिव थिंकर किस तरह हर चीज़ को साइंस के व्यूपॉइंट से देखते थे और अपनी न्यू डिस्कवरीज के थ्रू वर्ल्ड में चेंजेस लाना चाहते थे. हालाँकि इसके लिए उन्हें चर्च और किंगडम की नाराज़गी भी झेलनी पड़ती थी और कई बार तो उन्हें पनिशमेंट भी मिलती थी. लेकिन ये ग्रेट पर्सनेलिटीज सदियों की घिसीपिटी सोच से आगे बढकर अपना काम करते रहे.

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Chapter 02

हर वो इंसान जो इस महान एस्ट्रोनोमर की लाइफ से इन्फ्लुएंश है और गैलीलियो की लाइफ को करीब से जानना चाहता है उसे ये बुक पढनी चाहिए. ये बुक स्टूडेंट्स को भी काफी इंस्पायर करती है.

 

गैलिलियो गैलीली
.
विज्ञान ने हमे ढेर सारे साईटिसंट दिये हैं या फिर यू कहें कि इन ढेर सारे साईटिंसंट ने मिलकर हमे विज्ञान दिया है। उन सभी योगदानो के बाद भी आखिर हम उनमें से कितने वैज्ञानिको को याद रख पाते हैं?

इन्ही साईटिंसटस में एक नाम ऐसा भी है, जिन्होने विरासत में हमें अपनी सोच सौपी दी, जिन्होने पहली बार टेलिस्कोप का अविष्कार कर दुनिया को चौकाया था, एक ऐसे गुरु जिनकी शिक्षा के कारण उनके मरने के 250 साल बाद भी उन पर बैन लगा रहा। अन्तः एक ऐसे व्यक्ति , सर इसाक न्यूटन को जिनका पुनर जन्म कहा जाता था।

गिलिलियो गैलीली ये वो 2 शब्द है जिनकी कहानी उनकी सफलता की तरह लम्बी तो नही लेकिन रोंमाच से बढकर है। कुछ यू.. कि इस कहानी के अन्त तक जिन्दगी के कुछ ऐसे पलासपे सिखने को मिल जाने है जो अकसर रोज-मर्रा की किताबो में नही मिला करते।

गिलिलियो गैलीली आज भले ही इतिहास के पुराने पन्नो में खो गये हो लेकिन 15वीं शदी में सुर्खिया बटोरने के लिये ये नाम काफी था। वो सन् था 1564, जब इटली के पिसा शहर में, एक गरीब दम्पति ने अपनी पहली सन्तान को जन्म दिया। वो गैलिलयो थे जिनका जन्म भी अपने आप में किसी भी अजूबे से कम नही था, फिर आप चाहे इस हैरतगैंज कहे या कुदर्त का करिश्मा। गैलिलयो का जन्म ठीक उसी दिन हुआ जिस दिन रेनिसेनस के आखिरी दिग्गज माईकल एंग्लो की मौत हुई थी। नन्हे गैलिलयो उस जमाने में आ चुके थे जहाँ बाईबल लोगो की सोच को आकार दे रहा था। बाईबल को अपनी जागीर बताने वाले चर्च के कुछ सदस्य, लोगो के जीने और मरने के फैसले भी खुद ही करने लगे थे। आगे चलकर गैलिलयो को भी इसी नियम से संघर्ष करना था, एक ऐसा सघर्ष जो मौत के बाद भी उनके माथे से किसी कलंक की तरह रहा।

यूरोप में हालत बद-से-बदतर ही जा रही थी। अन्धविश्वास अपनी बाँहे दिन-बा-दिन फैला रहा था, वहीँ दूसीर ओऱ फ्लेग की बिमारी भी आधी आबादी को निगर चुकी थी। इसी वजह से लोगो को विश्वास अब चर्च पर से उठ रहा था, बगावत के किसी माहोल ने जन्म दिया साईंस और फिलोस्पी के नये दौर को, जो कुछ समय बाद कहलाया गया “द अरा आफ मोर्डन साईंस”

आश्चर्य की बात है, कि जो चर्च साईंस और एस्टरोनोमी पर बन्दिशे कसता था, मोर्डन साईंस की ज्यादातर फिलोस्पीस और इनवेनशन ने उसी चर्च में जन्म लिया था। जिसमें एक अहम किरदार निभाया था निकोलश कोपरनिकस ने। इनकी मृत्यु गैलिलयो गैलीली के जन्म से 20 साल पहले ही हो गयी थी। कोपरनिकस एक केथोलिक प्राईसट थी जिनकी थ्योरीस को गैलिलयो , अपने उल्लेखो के जरिये साबित करने की कोशिश करते थे। कोपरनिकस की थ्योरिस को दिये गये इसी सपोर्ट ने गैलिलयो अपने समय के सबसे कोन्टरोवर्शियल फिगर में से एक बना दिया।

गैलिलयो का शुरुवाती जीवन 10 साल की उम्र तक अपने परिवार से अलग रिश्तेदारो के साथ पेसा में ही बीता। यहाँ पेसा में नन्हे गैलिलयो की दिलच्सपी मेथ में बढने लगी। लेकिन उनकी परिवार वालो के ये बात मजूंर नही थी। पिता विनचेनशो चाहते थे कि उनका होनहार बेटा मेडिकल कर अपने घर के लिये कुछ पैसे कमाये। इसलिये महज 11 साल की उम्रमें ही गैलिलयो को वलमबरोसा में स्थित एक जेसट मोनस्टरकी में भेज दिया गया। फ्लोरेन से 33 किमी0 दूर यही मोनसटरी हरी पहाँडियो के बीचो-बीच बसी हुई थी। ये जगह गैलिलयो को इतनी पसन्द आयी की उन्होने यही पर मोन्सटरी में सन्यासी बनने का फैसला ले लिया।

अब जैसे-तैसे हिम्मत जुटा कर नन्हे गैलिलयो ने अपने पिता को बताया कि वो एक मंक बनना चाहते हैं। ये बात सुनते ही पिता विनसेनजो के पैरो तले जमीन खिसक गयी। बिना एक पल गवाँये पिता विनसेनजो ने गैलिलयो को तुरन्त ही मोन्सटरी से लौट आने के लिये कह दिया। इसी के साथ गैलिलयो को मजबूरन फ्लोरेन्स लोटना पडा। जहाँ उन्होने अपनी स्कूलिंग की शुरुआत की। और अपनी कहाने के पहले पडाव को भी पूरा किया।

देखते ही देखते गैलिलयो ने अपने बचपन को अलविदा कर चुके थे ओर अव वो यूनिवर्सटी आफ पिसा में एक नौजवान विद्यार्थी थे, पिता की इच्छा अनुसार अपने दिल पर पत्थर रख कर उन्होने मेडिसन की पढाई शुरु कर दी। समय के साथ गैलिलयो का मन भी मेडिकल की पढाई से उब चुका था। नतीजा यही रहा की अब मेथमेटिक्स के लिये

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गैलिलयो , पिता से बगावत करने को तैयार थे।

अब समर वेकेशन सर पर थी और बागी बनने की तैयारियां भी हो चुकी थी फैसला आर पार का था किसी भी हाल में पिता विनसेनो को मैथमेटिक्स की पढ़ाई के लिए राजी करना था एक बात तो गैलीलियो को साफ साफ पता थी कि उनके कहने से तो उनके पिता मानने से रहे इसलिए समर वेकेशन में गैलीलियो ने ओसटिलो रिचि को अपने घर फ्लोरेंस आने का न्योता भेजा जोकि टस्कन कोर्ट के बडे मैथमेटिक्स थे और कहीं हद तक गैलीलियो के हमदर्द भी, दोनों ने मिलकर पिता विनसेनो को मनाने की कोशिश की अंत में अपने बेटे की जिद के आगे विनसेनो का दिल थोड़ा सा ही सही लेकिन पिघला जरूर और उन्होंने गैलीलियो को इजाजत दे ही दी पर शायद यह भी गैलीलियो के लिए काफी नहीं था एक बार फिर अपने पिता को निराश कर गैलीलियो खुद ही यूनिवर्सिटी से बेदखल हो गए और ग्रेजुएशन करने से पहले ही एक कॉलेज ड्रॉपआउट बन गए।

कॉलेज अधूरा छोड़ने के बाद गैलीलियो को अपने गुजारे के लिए पैसे कमाने थे। इसलिए अब गैलीलियो ने मैथमेटिक्स की प्राइवेट ट्यूशन देना शुरू कर दिया पहले तो वो प्राइवेट ट्यूटर के रूप में फ्लोरेंस में सिखाया करते थे कुछ समय बाद उन्होंने सेना में पब्लिक अपॉइंटमेंट लेना शुरू कर दिया।

साल 1556 में गैलीलियो, वेलामबरोसा में पढ़ाया करते थे जहां उन्होंने अपनी पहली साइंटिफिक बुक “ला बालनसिटा” लिखी। इस किताब में बैलेंस की मदद से रिलेटिव डेंसिटी को ढूंढने के आर्कमिडिज के मेथड की जानकारी दी गई है जिसके लिए गैलीलियो ने फ्लोटिंग ऑब्जेक्ट के साथ एक्सपेरिमेंट शुरू किए। इस किताब के बाद गैलीलियो अपने एम्बिशन को लेकर और भी ज्यादा सीरियस हो गए उन्हें किसी मेजर यूनिवर्सिटी में मैथमेटिक्स सब्जेक्ट की एक बड़ी उपाधि हासिल करनी थी उस वक्त तक शहर के काफी लोग गैलीलियो और उनकी प्रतिभा से वाकिफ हो चुके थे।

बहुत ही जल्द गैलीलियो की किस्मत उनकी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लाने वाली थी लिटरेचर पर दिए गए उन्हें एक लेक्चर ने उन्हें एक दिन में फेमस बना दिया अकादमी ऑफ फ्लोरेंस में एक लंबे समय से डानटे इनफरनो नाम की एक 100 साल पुरानी कॉन्ट्रोवर्सी चर्चा का विषय थी और जब गैलीलियो को इस विषय पर लेक्चर देने का न्योता दिया गया तो उन्होंने अपनी सोच और अपने जवाब से सभी को इंप्रेस कर दिया था। उस इंसीडेंट के बाद से ही लोग उन्हें सम्मानजनक नजरों से देखने लगे गैलीलियो की पॉपुलरटी और रेपुटेशन का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिस यूनिवर्सिटी ऑफ पिसा से वह अपनी एजुकेशन पूरी नहीं कर पाए थे उसी यूनिवर्सिटी ऑफ पेसा से उन्हें 3 साल के अपॉइंटमेंट का ऑफर दिया गया आखिरकार गैलीलियो का वर्षो पुराना सपना पूरा हुआ और उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ पेसा के मैथमेटिकल फैकल्टी में अच्छी खासी पोजीशन हासिल हुई इन 3 सालों में गैलीलियो ने “डे मोटू“ नामक अपनी दूसरी किताब लिखी जो की थ्योरी ऑफ मोशन पर आधारित थी। भले ही गैलीलियो की कभी पब्लिश नहीं होने वाली किताब में मॉडर्नफिजिक्स की सबसे इंपोर्टेंट थ्योरी में से एक कहीं जाने वाली. द मोशन ऑफ फॉलिंग बॉडी भी शामिल थी।

सफलता की सीढ़ियां तो चढ रहे थे वो, पर अभी डगमगाना बाकी था. कुछ सालों बाद पिता के देहांत के बाद घर की सारी जिम्मेदारियां गैलीलियो के कंधे पर आ गई थी। जिनमें अपनी अपनी छोटी बहनों की शादी के लिए दहेज जमा करना भी शामिल था । गैलीलियो के सर जिम्मेदारियों को बोझ बढ़ तो गया था लेकिन पिसा में उनकी कमाई कुछखास नहीं थी इसलिए अब गैलीलियो नए मौके की तलाश में जुट गए। बहुत ही जल्द उन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ पदुआ में मैथमेटिक्स के प्रोफेसर के रूप में अपॉइंटमेंट किया गया। यहां उनकी सैलरी भी पेसा से 3 गुना ज्यादा थी पदुआ में गैलीलियो काफी खुश थे समय बीतता गया और अब पदुआ में बिताए हुए 18 साल गैलीलियो की जिंदगी के सबसे खुशनुमा पलों में से एक बन गए थे।

एक वक्त ऐसा भी आया जब गैलीलियो को पैसों की सख्त जरूरत थी उनके सर कर्ज का बोझ और अपनी छोटी बहन की शादी की जिम्मेदारी भी आन पड़ी थी। उस जमाने में दहेज 1000 क्राउंस तक दिया जाते थे और गैलीलियो की सालाना कमाई महज 180 क्राउंस तक सीमित थी यदि गैलीलियो फ्लोरेंस वापस चले जाते तो अपने कर्जदारो की वजह से उन्हेंजेल भी जाना पड़ जाता तो अब गैलीलियो की आंखों के सामने बस एक आखरी रास्ता बचा था यह रास्ता था किसी नई चीज को अविष्कार करना। गैलीलियो को यह बात मालूम थी कि यदि वह किसी एक समाधान के साथ कोई नया आविष्कार करेंगे तो वह उससे अच्छी-खासी रकम कमा सकते हैं। बढ़ी हुई मुश्किलों के बाद गैलीलियो ने एक रुडिमेंटरी थर्मामीटरका आविष्कार किया पर अफसोस कि उने कोई खरीद नहीं रहा था लेकिन इसके बावजूद गैलीलियो ने हार नहीं मानी और फिर गैलीलियो ने मिलिट्री कंपास का एक मोडिफाइड वर्जन इन्वेंट किया जिसके सहारे आर्मी सही निशाना भी साध सकती थी। यह अविष्कार एक इंसटेंट हिट रहा और गैलीलियो को इससे काफी हद तक फायदा भी मिला |

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