(Hindi) FULL CATASTROPHE LIVING -Using the Wisdom of Your Body and Mind to Face Stress, Pain, and Illness

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इंट्रोडक्शन

माइंड फ़ुलनेस का मतलब है हम पूरी तरह अवेयर रहे और हम कहाँ है, किसके साथ और क्या कर रहे है. यानी अपने हर ईमोशन को फील करना और हर अनुभव को खुलकर जीना.

माइंड फ़ुलनेस स्ट्रेस और नेगेटिविटी के खिलाफ एक बेहद कारगर हथियार साबित हो सकता है.

इस समरी में आप पढोगे कि आर्ट ऑफ़ माइंड फ़ुलनेस में एक्सपर्ट होने से आपको क्या-क्या फायदे होंगे और कैसे मेडिटेशन हमे लाइफ में ग्रो करने और अपनी लाइफ का पर्पज ढूँढने में मदद करती है.

आप इस समरी से सीखोगे कि कैसे हम अपनी डेली रूटीन में माइंड फ़ुलनेस की  प्रैक्टिस  कर सकते है, कैसे खुद के हीलिंग प्रोसेस में एक एक्टिव पार्टिसिपेंट बन सकते है और दुनिया को लेकर अपने सोचने का नजरिया कैसे बदल सकते है.

इससे आप ये भी सीखोगे कि अपने नेगेटिव इमोशंस जैसे स्ट्रेस और गुस्से को कैसे  कंट्रोल  किया जाए.

आर्ट ऑफ़ बीईंग को समझ कर आपको ये एहसास होगा कि लाइफ में  फ़ुल  माइंड, बॉडी और हार्ट के साथ प्रेजेंट रहना कितना इम्पोर्टेंट है.

तो, अब टाइम आ गया है कि जब हम अपनी पैसिव थिंकिंग छोडकर लाइफ को एन्जॉय करना स्टार्ट कर दे.

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The Foundation Of Mindfulness Practice: Attitudes and Commitment

आप कोई लेक्चर सुनकर या बुक पढ़कर इंसान अपनी हैबिट  नहीं  बदलता. ये एक फैक्ट है कि जिस काम में आपका दिल ना लगे, उसे आप ज़बरदस्ती लंबे टाइम तक  नहीं  कर सकते. आप कोशिश करके देख लो, कुछ दिनों तक तो आपकी विलपॉवर  strong  रहेगी फिर धीरे –धीरे आप वापस पुराने रूटीन पर लौट आओगे.

सेम यही रिलैक्सेशन के साथ भी है. अगर आप उस वक्त मेंटली कहीं और है और आपको लग रहा है जैसे आपका अपने ईमोश्न्स और  थॉट्स  पर कोई  कंट्रोल  नहीं है तो कोई फायदा  नहीं  चाहे आप कितनी भी मेडिटेशन क्यों ना कर ले.

अगर आप अवेयरनेस की  प्रैक्टिस  करना चाहते हो जोकि मेडिटेशन का बेहद इम्पोर्टेंट पार्ट है तो आपको पूरी तरह से ध्यान लगाना होगा और जो चीज़ जैसी है उसे वैसे ही एक्सेप्ट करना होगा बजाए इसके कि आप उन्हें  कंट्रोल  करने की कोशिश करो. क्योंकि आपका एटीट्यूड काफी मैटर करता है. अगर आप बेस्ट तरीके से मेडिटेशन करना चाहते हो तो एक एक्स्पेटिंग माइंडसेट के साथ करो.

माइंड फ़ुलनेस की  प्रैक्टिस  को कंटीन्यू रखने के लिए आपको सब्र रखना होगा, एक नॉन-जजमेंटल अप्रोच रखनी है, ज्यादा एक्स्पेटेशन  नहीं  रखनी, जो हो रहा है उसे होने दो, और सबसे इम्पोर्टेंट है कि इस प्रोसेस में आपका भरपूर विश्वास होना चाहिए.

इंडिया में बंदर पकड़ने का एक स्मार्ट मेथड क्रिएट किया गया है. जब कोई हंटर किसी  बंदर को पकड़ने जाता है तो वो क्या करता है कि एक कोकोनट में होल कर देता है और उसमे एक केला रख देता है. ये होल कुछ ऐसे किया जाता है कि जैसे ही  बंदर इसमें हाथ डालता है उसका हाथ अंदर फंस जाता है. अब  बंदर को अगर हाथ छुड़ाना है तो उसे केला छोड़ना होगा.

लेकिन वो केले का लालच छोड़  नहीं  पाता इसलिए उसका हाथ फंसा रह जाता है और इस तरह हंटर बदंर को आसानी से पकड़ लेता है.

अगर हम गौर से इस बारे में सोचे तो फील होगा कि हमारा माइंड भी  बंदर जैसा है. कई बार हम चीजों को लेकर इतने पजेसिव हो जाते है कि उन्हें छोड़  नहीं  पाते चाहे वो हमे कितना ही नुकसान क्यों ना पहुंचा रही हो. हम आसानी से किसी चीज़ को छोड़  नहीं  पाते और इसीलिए मन में हमेशा उथल-पुथल मची रहती है और हम कभी सुकून से जी ही नहीं पाते.

अगर ऐसे में हम मेडिटेशन करने की कोशिश करेंगे तो भी हमे कुछ अचीव  नहीं  होगा क्योंकि हमारा मन चीजों में फंसा हुआ है, और हमारा हाल भी वही है जो बदंर का है. या तो हम अपने पास्ट में फंसे होते है या फ्यूचर की टेंशन में परेशान रहते है जबकि प्रेजेंट में जीना उतना ही आसान है जैसा  बंदर के लिए केले का लालच छोड़ना.

यही रीजन है कि चीजों को अपने हाल में छोड़ देना एक मोस्ट इम्पोर्टेंट फैक्टर् है जो आपकी माइंड फ़ुल नेस अचीव करने में हेल्प कर सकता है.

आराम से बैठ कर रिलेक्स मोड में अपने डीप  थॉट्स  और फीलिंग्स को महसूस करने की कोशिश करोगे तो शायद आपको अपने दर्द की असली वजह मिल सकती है. इन नेगेटिव  थॉट्स  और फीलिंग्स के बारे में ज्यादा मत सोचो बल्कि उन चीजों पर फोकस करो जो आपकी लाइफ में  पॉजिटिव  है, जो आपको खुशी देता है.

खुद को मेडिटेशन में  ज़बरदस्ती  पुश करने के बजाए पेशेंस, एक्सेप्टेंश और आर्ट ऑफ़ लेटिंग गो की  प्रैक्टिस  करो. इन सपोर्टिंग क्वालिटीज़ में अगर आप माहिर हो गए तो समझ लो फिर आपके लिए मेडिटेशन बेहद पॉवर फ़ुल  बन जायेगी.

एक बार आपने पॉवर ऑफ़ मेडिटेशन फील कर ली और माइंड फ़ुलनेस की  प्रैक्टिस  शुरू कर दी तो इसके बाद आपको ये प्रोसेस अच्छा लगने लगेगा. अपने माइंड को फ्री रखने और एक सुकून भरी जिंदगी जीने की कोशिश करो.

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Really Doing What You Are Doing: Mindfulness In Daily Life

अपनी इनर पीस पाने से ज्यादा बैटर कुछ भी  नहीं  है. पीस फ़ुलनेस एक आर्ट है रिलेक्स फील करने का, अच्छा महसूस करने का और शांत रहने का.

ज्यादातर लोग सही वक्त का इंतज़ार करते ही रह जाते है, वो सोचते है कि जब राईट टाइम होगा तब वेकेशन पर जायेंगे या तब लाइफ एन्जॉय करेंगे.

लेकिन इस चैप्टर में आपका चैलेंज है अपने रोज़ के डेली रुटीन को पीस फ़ुलनेस बनाना यानी आप बर्तन धोते-धोते शांत और सुकून से रह सकते हो, इनर पीस महसूस कर सकते हो. कहने का मतलब है कि इनर पीस फील करने के लिए हमे सिर्फ मेडिटेशन की जरूरत  नहीं  है.

लगातार माइंड फ़ुल नेस की  प्रैक्टिस  करने से आप अपनी अवेयरनेस  strong  करोगे, और कुछ ही वक्त बाद आप नोटिस करोगे कि चाहे आप मेडिटेशन ना भी कर रहे हो तो भी अपनी डेली लाइफ में माइंड फ़ुल नेस को फील कर सकते हो.

कहने का मतलब है कि आप जितना मेडिटेशन की  प्रैक्टिस  करोगे उतना ये आपकी लाइफ का पार्ट बनता जाएगा और फिर आपको घर के मामूली काम जैसे कुकिंग या गार्डनिंग करते वक्त भी उतनी ही ख़ुशी और शान्ति का एहसास होगा जैसे मेडिटेशन के वक्त होता है. और इस तरह आपकी पूरी लाइफ ही एक मेडिटेशन सेशन में बदल जायेगी.

आपको ना सिर्फ जिंदगी की छोटी-छोटी खुशियों में मज़ा आएगा बल्कि आप ये देखकर चौंक जाओगे कि रोज़मर्रा की जिंदगी में आपको नए-नए अनुभव हो रहे है. ऐसे अनुभव जो पहले कभी नहीं हुए थे. क्योंकि आप अपने प्रेजेंट मोमेंट में जी रहे हो तो आपका ज्यादा से ज्यादा फोकस अपनी  थॉट्स , अपने एक्श्न्स और फीलिंग्स पर होगा, जिसके कारण आपकी पर्सनेलिटी में दिन पर दिन एक निखार आता जायेगा, आप खुद को पहले से बेहतर जानने लगोगे.

ये एक शनिवार की बात थी, जैकी बाहर सात घंटे घूमकर और  लोगों  के साथ टाइम स्पेंड करके थका-हारा घर लौटी. उस दिन वो बहुत थक चुकी थी पर इसके बावजूद वो बेहद खुश नजर आ रही थी क्योंकि उस दिन उसने खूब एन्जॉय किया था, उसने एक-एक पल का मज़ा लिया था.

घर लौटकर जैकी ने देखा कि उसके पति ने उसके लिए एक नोट छोड़ रखा है जिसमे लिखा था कि वो आज रात के लिए घर से बाहर रहेगा क्योंकि उसे किसी काम से  दूसरे शहर जाना पड़ रहा है यानी उस रात जैकी घर पर अकेली रहने वाली थी और उसे अकेलेपन से नफरत थी. अगर उसके पति ने पहले ये बात उसे बता दी होती तो वो अपनी किसी फ्रेंड को रात में रहने के लिए अपने घर इनवाईट कर देती.

जैकी की बेटियाँ जब छोटी थी तो वो उन पर सोशल लाइफ जीने के लिए जोर देती थी. वो अपनी बेटियों को बाहर जाकर दोस्तों के साथ मौज़-मस्ती करने के लिए कहती पर उसकी दोनों बेटियों को घर पर टाइम स्पेंड करना ज्यादा पसंद करती थी.

जैकी को ये बात कभी समझ  नहीं  आती थी कि कोई अकेले कैसे रह सकता है या अकेले रहना पसंद कर सकता है.

जैकी अपनी फ्रेंड को कॉल करके बुलाने ही वाली थी कि तभी उसे ख्याल आया कि उसे हमेशा माइंडफ़ुल  रहना चाहिए ना कि सिर्फ क्लिनिकल प्रैक्टिस के वक्त. ये सोचते ही जैकी ने अपनी फ्रेंड को बुलाने का आईडिया ड्राप कर दिया और डिसाइड किया कि वो रात अकेले गुजारेगी और प्रेजेंट मोमेंट में जियेगी.

उस रात जैकी अकेले में ज़रा भी  नहीं  डरी बल्कि उसने सोने के लिए कमरा ठीक किया और रात में खूब गहरी और अच्छी नींद ली. सुबह जल्दी उसकी आँख खुल गई थी तो उसने सनराईज का खूबसूरत नज़ारा भी लिया.

उस दिन जैकी ने जो सबक सीखा, वो हम सबको भी अपनी लाइफ में रियलाईज करना चाहिए. और वो सबक ये था कि खुश रहने के लिए हमे प्रेजेंट मोमेंट को एन्जॉय करना पड़ेगा. रेगुलर माइंड फ़ुलनेस की  प्रैक्टिस  करके हम रोज़ की जिंदगी में वो शान्ति और सुकून पा सकते है जो किसी भी हालात या सिचुएशन की मोहताज़  नहीं  होती.

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