(Hindi) AUTOBIOGRAPHY OF ALFRED NOBEL

(Hindi) AUTOBIOGRAPHY OF ALFRED NOBEL

इंट्रोडक्शन

क्या आप 350 से ज्यादा  पेटेंट  वाले इन्वेंटर के बारे में जानना चाहते हैं? क्या आप डायनामाइट और अनगिनत एक्सप्लोसिव्स(explosives) के इन्वेंशन के पीछे जो हैं उनके बारे में जानना चाहेंगे! अगर हाँ, तो यह समरी इसकी शुरुआत करने के लिए बिल्कुल परफेक्ट है।

यह समरी आपको  एल्फ्रेड नोबेल के जीवन के बारे में बताएगी। यह उनके शुरुआती जीवन, उनके इन्वेंशन, उनके निजी जीवन(private life) और नोबेल prizes के बारे में बताएगी जिससे उन्हें सम्मानित किया गया था।

अगर आप history पढ़ना पसंद करते हैं या इंजीनियरिंग और इन्वेंशन में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको ये यक़ीनन पढ़ना चाहिए।

तो आइए समाज के लिए नोबेल के योगदान और अब तक दिए गए सबसे इम्पोर्टेन्ट prizes में से एक की शुरुआत कैसे हुई उस बारे में जानते हैं!

शुरुआती जीवन

एल्फ्रेड नोबेल का जन्म 21 अक्टूबर 1833 को हुआ था। उनके पिता इमैनुएल नोबेल ने 1827 में  कैरोलिना  एंड्रीट अहलसेल से शादी की। उनके आठ बच्चे थे, लेकिन उनमें से केवल चार ही बचे।  उनमें से एक थे  एल्फ्रेड नोबेल।  उनका परिवार 17th सेंचुरी के टेक्निकल जीनियस ओलोफ रुडबेक का वंश है।

एक जवान लड़के के रूप में,  एल्फ्रेड को इंजीनियरिंग में ख़ासकर  एक्सप्लोसिव्स(explosives) में इंटरेस्ट था।  अपने पिता की तरह  एल्फ्रेड को भी टेक्निकल में बहुत दिलचस्पी थी।  उनके पिता ने उन्हें इंजीनियरिंग के कुछ fundamental principles सिखाए जिससे उनमें और ज्यादा दिलचस्पी पैदा हुई।  इसी तरह, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी का प्रभाव,  एल्फ्रेड पर बचपन से ही था।
वो अपनी माँ के बेहद करीब थे।

इमैनुएल नोबेल स्वीडन से फिनलैंड चले गए।  स्वीडन में  एल्फ्रेड की मां ने परिवार की देखभाल की।  हालाँकि वह एक अमीर परिवार से थी, लेकिन  एल्फ्रेड की माँ ने एक किराने (grocery) की दुकान शुरू की।  किराने की दुकान से होने वाली इनकम ने परिवार को चलाने में मदद की।

इमैनुएल 1837 में सेंट पीटर्सबर्ग चले गए। उनके पिछले बिज़नेस fail हो गए थे, लेकिन  इमैनुएल  russia  में सक्सेसफुल  हुए।  veneer lathe का इन्वेंशन करने के बाद, उनका परिवार 1842 में  Russia में उनके साथ रहने लगा। क्योंकि परिवार अब  फाइनेंसियल  रूप से स्टेबल था,  इमैनुएल  ने अपने बेटे  एल्फ्रेड को private टीचर के पास पढ़ने भेजा।  उनके चारों बेटों ने अच्छी एजुकेशन ली।   एल्फ्रेड स्कूल गए और केमिस्ट्री और अलग-अलग भाषाओं में सबसे अच्छे नंबर से पास हुए | वह इंग्लिश, जर्मन, russian , स्वीडिश और फ्रेंच में बहुत अच्छे थे।  उन्होंने “ज़िनिन रिएक्शन” के लिए पहचाने जाने वाले फेमस  Russian केमिस्ट निकोलाई ज़िनिन के साथ भी पढ़ाई की| इस तरह,  एल्फ्रेड के साथियों ने उन्हें इन्फ्लुएंस किया|

एल्फ्रेड ने 1850 में  Russia छोड़ने और केमिस्ट्री की पढ़ाई करने के लिए पेरिस जाने का फैसला किया। उन्हें कविता में भी दिलचस्पी थी, लेकिन उनके पिता इससे खुश नहीं थे। उन्होंने अपने बेटे को केमिकल इंजीनियर बनने के लिए विदेश भेजने का फैसला किया। पेरिस में,  एल्फ्रेड की मुलाकात एस्केनियो सोबरेरो से हुई जो एक फेमस Italian केमिस्ट थे जिन्होंने नाइट्रोग्लिसरीन (nitroglycerin) का इन्वेंशन किया था। सोबरेरो ने नाइट्रोग्लिसरीन का इस्तेमाल करने की सिफारिश नहीं की क्योंकि यह गर्मी या pressure के कारण फट जाता था, और इसका बेहेवियर भी unpredictable था।

लेकिन  एल्फ्रेड ने नाइट्रोग्लिसरीन का इस्तेमाल करने और इसे काबू में करने का एक तरीका खोजा। एल्फ्रेड एक क्यूरियस इंसान थे जो किसी भी प्रॉब्लम का हल खोजना चाहते थे। explosives में उनकी दिलचस्पी ने उन्हें नाइट्रोग्लिसरीन को  मार्केट में लाने में मदद की| यह एक अच्छा आईडिया था क्योंकि नाइट्रोग्लिसरीन बारूद से कहीं ज्यादा शक्तिशाली था।

बाद में,  एल्फ्रेड नोबेल United States गए और इन्वेंटर जॉन एरिक्सन के नीचे काम करने लगे।

एल्फ्रेड 1852 में  Russia लौट आए और अपने पिता के साथ अपने  फैक्ट्री  में काम करना शुरू कर दिया। इमैनुएल की फैक्ट्री ने 1853 के क्रीमियन जंग के लिए मिलिट्री इक्विपमेंट को बनाया। जंग  के बाद, कंपनी दिवालिया हो गई क्योंकि वो उतने अच्छे स्टीमबोट मशीनरी नहीं बना पा रही थी जितनी अच्छी मिलिट्री इक्विपमेंट बनाती थी। इस तरह,   एल्फ्रेड के शुरूआती सालों में उतार-चढ़ाव बना रहा।

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डायनामाइट का इन्वेंशन

उनके बिज़नेस के चरमरा जाने के बाद,  एल्फ्रेड और उनके माता-पिता स्वीडन लौट आए।  एल्फ्रेड के भाई लुडविग और रॉबर्ट  Russia में ही रह गए ताकि उनके पारिवारिक बिज़नेस में जो कुछ बचा है, उसकी देखभाल की जा सके। स्वीडन में,  एल्फ्रेड ने अपने पिता की प्रॉपर्टी में अपनी छोटी laboratory में explosive पर काम करना शुरू किया। उस दौरान mines में इस्तेमाल होने वाला इकलौता  explosive गनपाउडर था। नाइट्रोग्लिसरीन एक बहुत शक्तिशाली explosive था, लेकिन इसका इस्तेमाल करना सेफ़ नहीं था। हालांकि,  एल्फ्रेड ने एक factory की शुरुआत की जो नाइट्रोग्लिसरीन बनाता था। उन्होंने explosive को सेफ़ बनाने के तरीके खोजने के लिए भी research करना शुरू किया।

1863 में  एल्फ्रेड द्वारा एक डेटोनेटर बनाया गया था। यह एक लकड़ी का प्लग था जिसे नाइट्रोग्लिसरीन charge में डाला गया था जिसे एक metal के कंटेनर में डाल दिया गया था। उन्होंने 1865 में एक बेहतर डेटोनेटर भी बनाया, जिसे ब्लास्टिंग कैप कहा जाता था। यह एक metal cap थी जिसमें Mercury fulminate था, और medium गर्मी या झटका इसे explode कर सकता था।

ब्लास्टिंग कैप ने लोगों के लिए नाइट्रोग्लिसरीन का इस्तेमाल शुरू करना आसान कर दिया। लेकिन नाइट्रोग्लिसरीन को इधर उधर ले जाना और स्टोर करना मुश्किल था। लेकिन ये liquid इतना खतरनाक था कि उसकी वजह से एल्फ्रेड के  फैक्ट्री में ब्लास्ट हुआ  जिससे उनके छोटे भाई एमिल की मौत हो गई। हादसे में चार और लोगों की भी मौत हो गई थी । दुख भरी मौतों के बावजूद,  एल्फ्रेड ने कई नाइट्रोग्लिसरीन  फैक्ट्री  बनाए और अपनी  bottle  कैप का इस्तेमाल किया। उन्होंने विंटरविकेन में नाइट्रोग्लिसरीन एक्टीबोलागेट एबी (Nitroglycerin Aktiebolaget AB) नाम की कंपनी की शुरुआत की। फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट के बाद वह सुनसान इलाके में काम करना चाहते थे। लेकिन अभी भी नाइट्रोग्लिसरीन की वजह से एक्सीडेंट हो रहे थे।

1867 में,  एल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट का इन्वेंशन किया। उसे इत्तेफ़ाक से पता चला कि केज़लगुहर नाइट्रोग्लिसरीन को सोख लेता हैं ताकि वह सूख जाए। केज़ल्गुहर छेददार मिट्टी होती है जिसमें सिलिका होता है और जो mixture बनकर तैयार हुआ, वह इस्तेमाल करने के लिए सुरक्षित था और इससे कोई ब्लास्ट  नहीं हुआ। उन्होंने सीमेंट, कोयला और sawdust भी आजमाया, लेकिन ये mixture काम नहीं आए ।

एल्फ्रेड ने अपने इन्वेंशन का नाम “डायनामाइट” रखा, क्योंकि यह शब्द ग्रीक शब्द “डायनेमिस” से आया है, जिसका मतलब है “पॉवर ।”  वह सब से पहले इसे “नोबेल्स ब्लास्टिंग पाउडर” कहना चाहते थे।

यह बहुत काम में आया, और नोबेल को उनके इन्वेंशन के लिए 1867 में ग्रेट ब्रिटेन और United States ने  पेटेंट  दे दिया। अब, डायनामाइट का इस्तेमाल खुदाई, सुरंगों को नष्ट करने, रेलवे और सड़कों को बनाने के लिए किया जाने लगा|
यह आमतौर पर कार्डबोर्ड सिलेंडर के रूप में बेचा जाता है।
अपने इन्वेंशन के कारण एल्फ्रेड नोबेल दुनिया भर में मशहूर होने लगे | आज, साउथ अफ्रीका  और अमेरिका डायनामाइट को बनाने वाले सबसे बड़े देश हैं। डायनामाइट के इस्तेमाल के लिए दुनिया भर में लाइसेंस की जरुरत होती है।

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डायनामाइट का evolution

पूरे यूरोप में,  एल्फ्रेड ने डायनामाइट को बनाने वाले कारखानों का एक नेटवर्क बनाया। उन्होंने अपने सामान को भी बड़े तौर पर बेचा। लेकिन  एल्फ्रेड भी डायनामाइट के बेहतर रूप की तलाश में थे । वह एक perfectionist थे और और चाहते थे की उनका सामान सबसे बेहतर हो जिसे safe explosive के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।

1875 में, “ब्लास्टिंग जिलेटिन” नाम का डायनामाइट, जो ज्यादा मजबूत था, का इन्वेंशन किया गया।  उन्होंने 1876 में ब्लास्टिंग जिलेटिन का  पेटेंट  लिया। एक बार फ़िर, एक्सपेरिमेंट के दौरान  एल्फ्रेड ने पाया कि नाइट्रोग्लिसरीन और नाइट्रोसेल्यूलोज को मिलाने से एक ठोस सामान बनता है।  नाइट्रोसेल्यूलोज बहुत  ज्यादा धधकने वाला, रोएँदार compound है।  नतीजा यह था कि इससे बनने वाला प्लास्टिक मटेरियल बाकि डायनामाइट की तुलना में ज्यादा वाटर रेजिस्टेंस और बहुत मज़बूत  थे. इसे दुनिया भर में खुदाई के लिए अपनाया गया था, जिससे  एल्फ्रेड को काफी पैसा मिला, लेकिन इससे उनके सेहत पर भी बुरा असर पड़ा।

1887 में, बैलिस्टाइट का इन्वेंशन किया गया था।  यह एक नाइट्रोग्लिसरीन पाउडर था जिससे धुआँ नहीं निकलता था। इसी से  कॉर्डाइट बनाया गया जो धुआं ना छोड़ने वाला एक तरह का बारूद है।

हालांकि नोबेल के पास डायनामाइट और कई और explosives के इन्वेंशन के लिए  पेटेंट  था, लेकिन उन्हें लगातार उन competitors से परेशान होना पड़ रहा था जिन्होंने इनके तरीकों को चुरा लिया था।

इस बीच,  Russia में  एल्फ्रेड के भाइयों ने बाकू के पास तेल के खेतों की खोज की और अमीर और ख़ुशहाल बन गए। उन्होंने  ब्रैनोनेल  नाम की एक बहुत बड़ी तेल की कंपनी खोली| कंपनी अज़रबेज़िन में चलायी गयी और दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक बन गई।   एल्फ्रेड के इन्वेंशन और उनके भाई की कंपनियों के कारण,  एल्फ्रेड नोबेल एक अमीर आदमी बन गए। उन्होंने अपने भाई की तेल कंपनियों में इंवेस्ट भी किया।

1893 में उन्होंने स्वीडन के बोफोर्स में लोहे का एक कारखाना खरीदा। इसे बोफोर्स आर्म्स फैक्ट्री बनाने के लिए और बढ़ाया गया । नोबेल के नाम पर और भी कई इन्वेंशन  थे।  इनमें artificial रेशम और leather शामिल थे। अलग-अलग देशों में,  एल्फ्रेड लगभग 350  पेटेंट  पाने  में सफल रहे ।  उन्होंने लगभग 90 कारखानों को बनाया जो हथियारों को बनाते थे. हालांकि,  एल्फ्रेड नोबेल को शांतिवादी माना जाता है, जिन्हें जंग पसंद नहीं था।

उन्हें उनके इन्वेंशन के लिए रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मेंबर  के रूप में भी चुना गया था।  एल्फ्रेड ने स्वीडन में Uppsala University से डॉक्टरेट का पद भी हासिल किया ।

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