Why Should You Read This Summary?
क्या आप जानना चाहते है कि एक आदमी जिसने गांधीजी को मारा उसकी परवरिश कैसी थी. उसकी सोच क्या थी? इतना बड़ा गुनाह करने के बावजूद वो क्यों सोचता था कि वो सही है. अगर आप ये सब जानना चाहते है तो इस समरी को पूरा सुने.
ये बुक किस किसको पढनी चाहिए.
हर उस हिन्दुस्तानी को जो जानना चाहता है कि आज़ादी के बाद किस तरह से देश के हालत बदले, हमे किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ा. जो आज़ादी हमे इतनी मुश्किलों के बाद मिली उसे हासिल करने में ना जाने हमे कितनी ही कुर्बानियां देनी पड़ी. अपने देश और देश के इतिहास को जानने के लिए ये बुक एक बार पढकर देखे. अगर आप एक स्टूडेंट है तो ये बुक आपको ज़रूर पढके देखनी चाहिए.
इस बुक के ऑथर कौन है.
ये बुक नाथूराम गॉडसे ने मरने से पहले जेल में तब लिखी थी जब उसे गांधीजी की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनाई गयी थी. नाथूराम गॉडसे 19 मई, 1910 में पुणे की एक मराठी परिवार में पैदा हुआ था. गॉडसे एक हाई स्कूल ड्राप आउट था. अपनी स्कूली पढ़ाई बीच में ही छोडकर नाथूराम ने आरएसएस और हिन्दू महासभा ज्वाइन कर ली थी. बाद में उसने हिन्दू राष्ट्र दल नाम से अपनी खुद की ऑर्गेनाइजेशन भी बनाई. 15 नवम्बर, 1949 में उसे अम्बाला जेल में फांसी दी गयी थी.