क्या “डेथ” शब्द सुनकर आपको डर और उदासी का एहसास होता है? असल में इन नेगेटिव फीलिंग्स की कोई ज़रुरत नहीं है. आप जानते हैं क्यों? क्योंकि मौत कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिससे आपको डरना चाहिए बल्कि ये वो चीज़ है जिसमें आपको इंटरेस्ट होना चाहिए. मौत का मतलब सब कुछ खत्म होना नहीं होता है. इस समरी में सद्गुरु ने मौत के नए मायने समझाए हैं और हमें बताया है कि मौत से हमारा रिश्ता कैसा होना चाहिए: ग्रेस और क्यूरियोसिटी से भरा हुआ.
ये समरी किसे पढ़नी चाहिए?
* जो लोग किसी करीबी की मौत का अनुभव कर रहे हैं
* Philosophy के स्टूडेंट्स को
* जो लोग मौत के बारे में और जानना चाहते हैं
ऑथर के बारे में
सद्गुरु एक मिस्टिक और योगी हैं. वो एक स्पिरिचुअल मास्टर हैं और कई इवेंट्स में स्पीच दे चुके हैं, जैसे कि यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेम्बली. सद्गुरु ने ‘ईशा फाउंडेशन’ की स्थापना की है जो इंसानों का कल्याण करने के लिए काम करता है.