अध्याय 8- अक्षरब्रह्म योग
ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात सवाल और उनके जवाब
श्लोक 1:
अर्जुन बोले, “हे पुरुषोत्तम! ब्रहम क्या है? अध्यात्म क्या है? कर्म क्या है? अधिभूत और अधिदैव किसे कहते हैं? हे मधुसूदन! अधियज्ञ कौन है और इस शरीर में कैसे है और निरंतर युक्त चित्त में रहने वाले मनुष्यों द्वारा अंत समय में आप किस प्रकार जाने जाते हैं?
अर्थ: अर्जुन के सवाल दिखाते हैं कि वो भगवान् की बातों को गहराई से समझने की कोशिश कर रहे थे. उनके मन में अब भी कई सवाल थे. जिस मन में सवाल भरे हों वो हमेशा बेचैन रहता है और सही निर्णय नहीं ले सकता. सवाल मन को कभी शांत और संतुष्ट नहीं होने देते. ज्ञान भी मन में तभी उतर सकता है जब मन बिलकुल शांत हो और उसमें कोई सवाल ना उठे.
अर्जुन भी इस दुविधा में थे कि उन्हें अपने परिवार के साथ युद्ध करना चाहिए या नहीं इसलिए वो भगवान् की हर बात को गहराई और लॉजिक के साथ समझना चाहते थे ताकि उनके मन में चल रही हलचल ख़त्म हो जाए और वो तय कर पाएँ कि कौन सा फ़ैसला सबसे उचित होगा: युद्ध करना या पीछे हट जाना.
Puri Geeta Sune.
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